कासगंज में शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खेल खेला
गया है, जिससे रोजाना नए मामले सामने आ रहे हैं।
अभी कस्तूरबा विद्यालय प्रकरण ठंडा भी नहीं हुआ है कि जिले के चार शिक्षक और संदेह के घेरे में आ गए हैं।
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इसके बाद विभाग ने इन शिक्षकों के खिलाफ विस्तार से जांच कराने की कार्रवाई शुरू कर दी है।
आगरा विश्वविद्यालय से वर्ष 2004-05 में बीएड करने वाले अभ्यथियों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया। इस वर्ष विश्वविद्यालय से 12,464 अभ्यर्थियों ने बीएड की डिग्री हासिल की। फर्जीवाडे़ की जांच के लिए वर्ष 2017 में यह पूरी सूची शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराई गई।
एसआईटी की जांच में 4704 अभ्यर्थियों की डिग्री फर्जी होने या टेम्पर्ड होने का मामला सामने आने के बाद जिले में 91 शिक्षक तैनात मिले। जिनकी सेवाएं समाप्त की गईं लेकिन कोर्ट के आदेश पर ये पुन: बहाल हो गए।
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इसके बाद नए सिरे से भेजी गई 2,823 अभ्यर्थियों की सूची में चार शिक्षक फर्जी मिले। जबकि एक नया शिक्षक सामने आ गया। अनामिका प्रकरण के बाद कस्तूरबा विद्यालयों के सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं के प्रमाणपत्र मांगे गए।
सोरों की वार्डन के वर्ष 2004-05 की बीएड डिग्री के आधार पर जांच की गई, तो उसका नाम नई सूची में मिलने के बाद विभाग ने कार्रवाई कर दी।
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इधर शिक्षा विभाग ने जिले के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में तैनात सभी 3,030 शिक्षकों का डाटाबेस तैयार कराया है। जिसके आधार पर वर्ष 2004-05 में बीएड की डिग्री लगाने वाले शिक्षकों के प्रमाणपत्र की जांच की जा रही है।
इस दौरान चार नए शिक्षक संदेह के घेरे में आ गए। इनके नाम वर्ष 2004-05 में बीएड करने वालों की सूची में न मिलने के बाद विभाग के होश उड़ गए। इसके बाद विभाग ने नए सिरे से जांच कराने की तैयारी शुरू कर दी है, ताकि उनकी डिग्री की सत्यता सामने आ सके।
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आगरा विश्वविद्यालय से वर्ष 2004-05 में बीएड करने वाले अभ्यर्थियों की पूरी सूची में अभी जिले के चार शिक्षकों के नाम नहीं मिले हैं।
जिससे ये लोग संदेह के घेरे में आ गए हैं। इनकी जांच कराई जा रही है, जिससे सत्यता सामने आ सके। - अंजली अग्रवाल बेसिक शिक्षा अधिकारी।
गया है, जिससे रोजाना नए मामले सामने आ रहे हैं।
अभी कस्तूरबा विद्यालय प्रकरण ठंडा भी नहीं हुआ है कि जिले के चार शिक्षक और संदेह के घेरे में आ गए हैं।
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इसके बाद विभाग ने इन शिक्षकों के खिलाफ विस्तार से जांच कराने की कार्रवाई शुरू कर दी है।
आगरा विश्वविद्यालय से वर्ष 2004-05 में बीएड करने वाले अभ्यथियों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया। इस वर्ष विश्वविद्यालय से 12,464 अभ्यर्थियों ने बीएड की डिग्री हासिल की। फर्जीवाडे़ की जांच के लिए वर्ष 2017 में यह पूरी सूची शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराई गई।
एसआईटी की जांच में 4704 अभ्यर्थियों की डिग्री फर्जी होने या टेम्पर्ड होने का मामला सामने आने के बाद जिले में 91 शिक्षक तैनात मिले। जिनकी सेवाएं समाप्त की गईं लेकिन कोर्ट के आदेश पर ये पुन: बहाल हो गए।
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इसके बाद नए सिरे से भेजी गई 2,823 अभ्यर्थियों की सूची में चार शिक्षक फर्जी मिले। जबकि एक नया शिक्षक सामने आ गया। अनामिका प्रकरण के बाद कस्तूरबा विद्यालयों के सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं के प्रमाणपत्र मांगे गए।
सोरों की वार्डन के वर्ष 2004-05 की बीएड डिग्री के आधार पर जांच की गई, तो उसका नाम नई सूची में मिलने के बाद विभाग ने कार्रवाई कर दी।
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इधर शिक्षा विभाग ने जिले के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में तैनात सभी 3,030 शिक्षकों का डाटाबेस तैयार कराया है। जिसके आधार पर वर्ष 2004-05 में बीएड की डिग्री लगाने वाले शिक्षकों के प्रमाणपत्र की जांच की जा रही है।
इस दौरान चार नए शिक्षक संदेह के घेरे में आ गए। इनके नाम वर्ष 2004-05 में बीएड करने वालों की सूची में न मिलने के बाद विभाग के होश उड़ गए। इसके बाद विभाग ने नए सिरे से जांच कराने की तैयारी शुरू कर दी है, ताकि उनकी डिग्री की सत्यता सामने आ सके।
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