उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में 5 हजार
शिक्षकों के पद पर भर्ती जल्द ही की जाएगी।
इस संबंध में प्रदेश भर के 3049 सहायता प्राप्त स्कूलों से रिक्त पदों की संख्या आ गई है।
उप्र शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन के बाद सबसे पहले यही भर्तियां पूरी की जाएंगी।
इसमें 1065 पद हेडमास्टर के हैं, 4006 पद सहायक अध्यापकों के और 721 पद लिपिक के हैं।
आयोग का गठन अभी पूरा नहीं हुआ है। इसके गठन के बाद सहायताप्राप्त जूनियर हाईस्कूल की भर्तियां होंगी।
लम्बे समय से यहां भर्तियां नहीं हुई हैं।
बीच में कई बार रोक हटाई गई लेकिन फिर चयन प्रक्रिया में बदलाव व जनशक्ति निर्धारण के चलते फिर से रोक लगा दी गई। इन स्कूलों में सरकार शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करती है।
लिखित परीक्षा से होगी भर्ती:
ये भर्तियां नए नियमों के मुताबिक होंगी। अभी तक इन स्कूलों में भर्ती स्कूल प्रबंधन ही करता आया था।
ये भर्तियां नए नियमों के मुताबिक होंगी। अभी तक इन स्कूलों में भर्ती स्कूल प्रबंधन ही करता आया था।
इसका अनुमोदन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी करते थे। लेकिन इसमें कई किस्म के 'खेल' हुआ करते थे।
प्रबंधन व बीएसए की मिलीभगत से उनके अपने लोगों को भर्ती कर लिया जाता था।
लेकिन अब ये भर्तियां राज्य स्तर पर होंगी। राज्य सरकार ने 2019 में अध्यापक भर्ती नियमावली 1978 में संशोधन कर दिया है। इसके तहत शिक्षक चयन की लिखित परीक्षा राज्य स्तर पर होनी है।
प्रधानाध्यापक, सहायक अध्यापक की अर्हता में भी बदलाव हो चुका है। साथ ही चयन परिषदीय शिक्षकों की तरह गुणांक के आधार पर होना है।
नए सिरे से हुआ जनशक्ति निर्धारण:
वहीं सरकार ने सहायताप्राप्त स्कूलों में शिक्षकों की संख्या भी तय कर दी है।
वहीं सरकार ने सहायताप्राप्त स्कूलों में शिक्षकों की संख्या भी तय कर दी है।
अभी तक एक स्कूल में 4 शिक्षक, एक प्रधानाध्यापक व एक-एक लिपिक व परिचारक के पद होते थे इसके मुताबिक लगभग 24 हजार पद थे। लेकिन बीते वर्ष सरकार ने नए सिरे जनशक्ति निर्धारण किया है।
अब इन स्कूलों में न्यूनतम तीन शिक्षक नियुक्त होंगे। वहीं 100 से ज्यादा बच्चे होने पर ही प्रधानाध्यापक का पद मान्य होगा। परिचारक का पद खत्म कर दिया गया है।
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