लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे सिर्फ किताबी
ज्ञान तक सीमित नहीं रहेंगे।
छठवीं कक्षा से पारंपरिक पाठ्यक्रम के साथ ही छात्रों को अब हुनर और व्यावसायिक ज्ञान से जोड़ा जाएगा। स्कूल में छात्र 5 दिन अब उसताबी पाठ्यक्रम और एक दिन निकटतम आईटीआई या पॉलीटेक्निक में कौशल विकास का हिस्सा बन जाएगा।
व्यावसायिक शिक्षा विभाग माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग के साथ मिलकर इसका कार्ययोजना तैयार कर रहा है। जानकारी के मुताबिक अगले सत्र से इसे अमल में लाने की तैयारी है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को यूपी में लागू करने के लिए बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा तक में व्यापक बदलाव की तैयारी है। कई कमिटियां इस पर मंथन कर रही हैं।
इसी सिलसिले में माध्यमिक और उच्च शिक्षा को कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण से भी जोड़ा जा रहा है।
कार्ययोजना को अंतिम रूप देने के लिए अंतरविभागीय कमता बनाई गई है। साथ ही अलग-अलग श्रेणियों के स्तर पर अलग-अलग योजना तैयार किए जा रहे हैं।
बता दें कि, व्यावसायिक शिक्षा विभाग ने कक्षा 6 से 8 व कक्षा 9 से 12 और उच्च शिक्षा के स्तर पर अलग-अलग स्थानांतरण तैयार कर ली है।
कक्षा 6 से 8 तक औसत पाठ्यक्रम के बजाय बैगलेस एक्सपोजर पर फोकस किया जाएगा। इन कक्षाओं के बच्चों को 10 दिन का प्रशिक्षण देने के साथ ही स्थानीय उद्योगों का भ्रमण भी करना होगा। बच्चों का हुनर जांचने के लिए औसत परीक्षा करवाने के बजाए, छोटे-छोटे प्रोजेक्ट दिए जाएंगे।
वहाँ 9 से 12 तक के छात्रों के प्रशिक्षण की व्यवस्था 'हब ऐंड स्पोक' मॉडल के तहत की जाएगी।
प्रशिक्षण व सेवायोजन के निदेशक कुनाल रेशमू का कहना है कि आईटीआई व कौशल विकास केंद्रों की भूमिका हब के रूप में होगी। वहीं, माध्यमिक शिक्षण संस्थान स्पोक के रूप में काम करेंगी।
एक हब से उसकी क्षमता के अनुसार माध्यमिक स्कूलों को जोड़ा जाएगा। सप्ताह के अलग-अलग दिन अलग-अलग स्कूलों के लिए अलॉट होंगे।
तय दिन पर स्कूल अपने बच्चों को प्रशिक्षण केंद्रों पर तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए भेजेंगे।
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