इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीएड, बीटीसी कोर्स चला रहे मान्यता प्राप्त
प्राइवेट कॉलेजों की जांच के लिए गठित कमेटी का अधिकार क्षेत्र केवल एससी/एसटी छात्रों की स्कॉलरशिप के सत्यापन तक सीमित कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि कमेटी कॉलेजों की मान्यता आदि मुद्दों पर न कोई सवाल पूछेगी और न ही इसकी जांच करेगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने एसोसिएशन ऑफ माइनारिटीज एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस की ओर से दाखिल याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।
याचिका में चार अक्तूबर 2020 को जारी आदेश की वैधता को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि याची संस्था के 30 कॉलेजों को एनसीटीई से मान्यता प्राप्त है और वे विश्वविद्यालय से संबद्ध हैँ।
राज्य सरकार को इस संबंध में जांच करने का क्षेत्राधिकार नहीं है। अब राज्य सरकार ने स्वयं ही कह दिया है कि कमेटी स्कॉलरशिप लेने वाले एससी/एसटी छात्रों की वैधता का सत्यापन ही करेगी तो कोर्ट ने यह आदेश दिया है।
याची का कहना है कि राज्य सरकार की शिक्षा नीति है कि एससी/एसटी छात्रों को शून्य फीस पर बीएड, बीटीसी कोर्स में प्रवेश दिया जाए। जिसकी प्रतिपूर्ति सरकार करेगी।
सरकार ने 11 अक्तूबर 2020 को शासनादेश भी जारी किया है। प्रदेश के एससी/एसटी दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना नियमावली भी है। 30 सितम्बर 2020 को केन्द्रीय वित्त मंत्री ने बैठक ली।
बीएड ,बीटीसी कोर्स चला रहे प्राइवेट कॉलेजों के छात्रों के सत्यापन का फैसला लिया गया है।
चार अक्तूबर 2020 के आदेश से समाज कल्याण विभाग की तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई। शिक्षा सत्र 2019-20 व 2020-21 के छात्रों अध्यापकों से जुडे कई मुद्दों की जांच की जिम्मेदारी कमेटी को सौंपी गई है।
याची का कहना था कि केवल स्कॉलरशिप के संबंध मे जांच का अधिकार है। कॉलेज की मान्यता आदि मुद्दों की जांच का अधिकार नहीं है। जिसपर सरकार का रूख स्पष्ट होने के बाद विवाद खत्म मानते हुए कमेटी का अधिकार स्कॉलरशिप के सत्यापन तक सीमित कर दिया है।
कमेटी कॉलेजों की सीट की मान्यता, अध्यापकों की अर्हता आदि की जांच नहीं करेगी।
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