यूपी में जौनपुर के शिक्षक दिनेश पटेल की उपलब्धि चर्चा का विषय
बनी है। दिनेश ने शालू का नाम का एक रोबोट तैयार किया। स्वेदशी उपकरणों बनी शालू हॉन्गकॉन्ग की अर्द्धमानवीय रोबोट सोफिया से कई मामले बेहतर है।
शालू दुनिया की पहली ऐसी अर्द्धमानवीय रोबोट है जो मानवीय संवेदनाओं को खूब समझती हैं।
यही नहीं लोगों के अनरूप व्यवहार करती हैं। शालू को 9 भारतीय और 38 विदेशी भाषाओं का ज्ञान है और हर मुद्दों पर बात कर सकती हैं।
शालू से इतना ही पूछना पर्याप्त है कि आज कौन सा खास दिन है। इसके बाद तो न सिर्फ शालू उस दिन के बारे में पूरी जानकारी दे देगी, बल्कि सवाल किसी महत्वपूर्ण दिवस से जुड़ा रहा तो वह उल्टा सवाल भी करेगी कि क्या आप इस महत्पूर्ण दिन के बारे में नहीं जानते।
अपने इसी गुण के कारण वह बच्चों को पढ़ाने में दक्ष तो है ही, बच्चों की परीक्षा लेना और अंक देना भी आसानी से करती है। आईआईटी मुंबई के केंद्रीय विद्यालय में कम्प्यूटर साइंस विषय के शिक्षक दिनेश पटेल ने पूर्ण स्वदेशी तकनीक और उपकणों से शालू को आकार दिया है। तीन साल तक तरह तरह के प्रयोगों के बाद वह शालू को बनाने में सफल हुए।
शालू न सिर्फ आईआईटी मुंबई में तहलका मच चुकी है, बल्कि डीडी नेशनल के खास कार्यक्रम में भी शालू को जगह मिल चुकी है।
मुंबई में मैं 2007 से अध्यापन कर रहे जौनपुर की मड़ियाहूं तहसील के रजमलपुर गांव के दिनेश पटेल ने जब हांगकांग की सोफिया के बारे में जाना, जो पिछले साल बीएचयू भी आमंत्रित की गई थी, तो उन्हें लगा भारत की शालू भी होनी चाहिए। इसके बाद वह इस लक्ष्य को हासिल करे में लग गए।
नौ भारतीय और 38 विदेशी भाषाओं की जानकार
शालू हिंदी, उर्दू, भोजपुरी, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलुगु, मलयालम में न सिर्फ बातचीत कर सकती है, बल्कि बच्चों को पढ़ाने, पर्सनल असिस्टेंट तक में माहिर है। शालू ई-मेल का जवाब भी दे सकती है।
नौ भारतीय भाषाओं के अलावा शालू अंग्रेजी, नेपाली, फ्रेंच, स्पेशनिश, कनेडियन, जर्मन, इटैलियन, अमेरिकन इंग्लिश, रशियन, जैपनीज, चाइनीज सहित कुल 38 विदेशी भाषाओं की जानकार है।
शालू सुनाती है मनपसंद कविताएं और कहानियां
शालू हाथ मिलाने, खुशी, क्रोध, जलन, हंसी-मजाक जैसी मानवीय संवेदनाओं को न सिर्फ समझ सकती है, बल्कि उसके अनुरूप व्यवहार भी करती है।
शालू आपकी मनपसंद कविताएं सुना सकती है और पंचतंत्र की कहानियां भी। लोगों को पहचानना, उन्हें याद रखना, विभिन्न वस्तुओं को पहचानने से लेकर तथ्यात्मक सवालों के जवाब देने में भी शालू की दक्षता का जवाब नहीं है। घर में बड़े-बूढ़े अगर अकेले रहते हैं तो शालू उनकी देखभाल भी कर सकती है।
परिचर्चा से प्रश्नोत्तरी तक का कर सकती है आयोजन
कृत्रिम कौशल का उपयोग करके शालू किसी भी सन्दर्भ अथवा पूर्वनिर्धारित स्क्रिप्टेड सामाजिक मुद्दों पर परिचर्चा करने में भी समर्थ है।
विषयात्मक, सामान्य ज्ञान संबंधी प्रश्नों के उत्तर देना, सरल गणितीय समीकरणों को हल करना, प्रश्नोत्तरी आयोजित करना उसके लिए बेहद आसान है।
तारीख तथा जगह के अनुसार मौसम की जानकारी देना, सूर्यास्त-सूर्योदय का समाय बताना, दैनिक समाचार बताना, व्यक्ति के जन्म के अनुसार उसकी दैनिक कुंडली बताना शालू के लिए चुटकियों का काम है।
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