नई दिल्ली: देश में श्रम सुधारों की दिशा में काम कर रही मोदी
सरकार अगले कुछ महीनों में चारों श्रम संहिताएं (Labour Codes) लागू कर देगी।
ये कानून लागू होने के बाद कर्मचारियों के हाथ में आने वाला वेतन (टेक होम) घट जाएगा। हालांकि कर्मचारियों की बचत यानी पीएफ (PF) की राशि बढ़ जाएगी।
4 नई श्रम संहिताएं बनाई गईं
बताते चलें कि श्रम मंत्रालय ने 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को एक जगह मर्ज करके 4 नई श्रम संहिता (कोड) तैयार किए हैं। ये संहिता (Labour Codes) औद्योगिक संबंध, वेतन, सामाजिक सुरक्षा, व्यावसायिक और स्वास्थ्य सुरक्षा तथा कार्यस्थिति से जुड़े हैं। केंद्र सरकार इन कानूनों को एक अप्रैल, 2021 से लागू करना चाहती थी।
इसके लिए मंत्रालय ने चार संहिताओं से जुड़े नियमों को भी अंतिम रूप दे दिया था। इसके बावजूद ये कानून लागू नहीं हो सके। इसका कारण यह था कि कई राज्य अपने यहां संहिताओं के तहत इन नियमों को अधिसूचित करने की स्थिति में नहीं थे।
राज्यों से भी लेनी होगी सहमति
संवैधानिक विशेषज्ञों के मुताबिक भारत के संविधान के तहत श्रम समवर्ती विषय है। ऐसे में इन चारों संहिताओं के नियमों को केंद्र और राज्यों दोनों को अधिसूचित करना होगा। तभी संबंधित राज्यों में ये कानून अस्तित्व में आ पाएंगे।
प्रक्रिया से जुड़े अफसरों ने कहा, ‘कई प्रमुख राज्यों ने इन चार संहिताओं (Labour Codes) के तहत नियमों को अंतिम रूप नहीं दिया है।
कुछ राज्य इन कानूनों के क्रियान्वयन के लिए नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं। केंद्र सरकार हमेशा इस बात का इंतजार नहीं कर सकती कि राज्य इन नियमों को अंतिम रूप दें।
ऐसे में सरकार की योजना एक-दो माह में इन कानूनों के क्रियान्वयन की है। इसके लिए कंपनियों और प्रतिष्ठानों को नए कानूनों से तालमेल बैठाने के लिए कुछ समय देना होगा।'
कई राज्यों ने जारी किया मसौदा
सूत्र ने बताया कि कुछ राज्यों ने नियमों का मसौदा पहले ही जारी कर दिया है।
इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, पंजाब, गुजरात, कर्नाटक और उत्तराखंड शामिल हैं।
नई वेतन संहिता के तहत भत्तों को 50 प्रतिशत पर सीमित रखा जाएगा। इसका मतलब है कि कर्मचारियों के कुल वेतन का 50 प्रतिशत मूल वेतन होगा।
भविष्य निधि (PF) की गणना मूल वेतन के प्रतिशत के आधार पर की जाती है। इसमें मूल वेतन और महंगाई भत्ता शामिल रहता है।
अभी नियोक्ता वेतन को कई तरह के भत्तों में बांट देते हैं। इससे मूल वेतन कम रहता है, जिससे भविष्य निधि त(PF) था आयकर में योगदान भी नीचे रहता है।
नई वेतन संहिता (Labour Codes) में भविष्य निधि योगदान कुल वेतन के 50 प्रतिशत के हिसाब से तय किया जाएगा।
कंपनियों की बढ़ जाएगी देनदारी
वेतन संहिता लागू होने के बाद कर्मचारियों के मूल वेतन और भविष्य निधि (PF) की गणना के तरीके में उल्लेखनीय बदलाव आएगा। इससे कंपनियों की भविष्य निधि (पीएफ) की देनदारी भी बढ़ जाएगी।
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