परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत, अब 13 की बजाय लिए जाएंगे सिर्फ चुनाव, जनगणना और आपदा से जुड़े काम - updatesbit

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परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत, अब 13 की बजाय लिए जाएंगे सिर्फ चुनाव, जनगणना और आपदा से जुड़े काम

प्रतापगढ़ : परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को अभी तक इलाहाबाद


हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। 

कोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में परिषदीय स्कूलों के शिक्षक गैर शैक्षणिक काम नहीं करेंगे। उनसे सिर्फ चुनाव, जनगणना और आपदा से जुड़े काम ही लिए जाएंगे। 

अभी तक शिक्षकों से पढ़ाई के अलावा 13 अन्य कार्य लिए जाते थे।

हाईकोर्ट के इस निर्णय का जिले के शिक्षकों ने स्वागत किया है। उनका कहना है कि अब वह स्कूल में बच्चों को ठीक से पढ़ा सकेंगे। 

शिक्षक संगठनों की बहुत दिनों से चल रही मांग पूरी हुई है। देखा जाए तो जिले में कुल प्राइमरी स्कूलों की संख्या 2756 है। इनमें से 722 उच्च प्राथमिक तथा 2034 प्राथमिक विद्यालय हैं। 

इन स्कूलों में दो लाख 84 हजार बच्चे शिक्षा गहण कर रहे हैं। हाईकोर्ट के निर्णय का जिले के शिक्षकों ने स्वागत किया है।


शिक्षकों पर थोपे गए थे ये काम:

-मतदाता सूची निर्माण व संशोधन प्रक्रिया।

-बाल गणना करना।

-मिशन प्रेरणा पोर्टल पर डाटा फीडिग का काम।

-नवनिर्वाचित प्रधानों से समन्वय बनाकर कायाकल्प मिशन को गति देने काम।

-एमडीएम यानी मिड-डे-मील के तहत खाते में फंड ट्रांसफर सुनिश्चित करना।

-मिड-डे मील के तहत राशन व खाद्य सामग्री एकत्र करना, भोजन बनवाना।

-राशन सार्वजनिक वितरण केंद्र पर खाद्यान्न वितरण।

-विद्यालय परिसर का दुरुस्तीकरण की साफ-सफाई व बेहतर रख-रखाव।

-टाइम एंड मोशन स्टडी के अनुसार नए पंजीकरण कराने पर जोर।

-विद्यालय परिसर के विभिन्न अभिलेखों को दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी।

-डाटा फीडिग का काम करना।

-भवन निर्माण व देखरेख का काम।

-प्रसार-प्रसार के लिए बच्चों को लेकर विभिन्न रैलियों में शामिल करवाना।

प्रभावित होती थी पढ़ाई

शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्य में लगाए जाने से शिक्षण कार्य प्रभावित होता है। 

हाईकोर्ट का यह आदेश स्वागत योग्य है। इसका सरकार को पालन कराना चाहिए। इसकी मांग संगठन ने सरकार से कई बार की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।


-अशेाक कुमार राय, जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ


फैसला स्वागत योग्य

नए शिक्षा अधिकार अधिनियम में भी यही बात कही गई है। शिक्षकों का कार्य शैक्षिक गतिविधियों में ही लगे रहना है। 

अगर उन्हें गैर शैक्षिक गतिविधियों में लगाया जाएगा तो शिक्षण कार्य प्रभावित होगा। हाईकोर्ट का यह फैसला स्वागत योग्य है।


-सत्य प्रकाश पांडेय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ 


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