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पीएम मोदी ने लॉन्च कीं सफल, निष्ठा, विद्या प्रवेश समेत कई योजनाएं, जानें इनके बारे में

नई शिक्षा नीति के एक साल पूरा होने के अवसर पर पीएम मोदी


ने गुरुवार को शिक्षा क्षेत्र के विकास से जुड़ी कई अहम योजनाएं लॉन्च कीं। उन्होंने कहा कि ये कार्यक्रम नए भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाएंगे।

 लॉन्च की गईं योजनाओं में विद्या प्रवेश, भारतीय साइन लेंग्वेज की विषय के तौर पर शुरुआत, निष्ठा 2.0, सफल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर जन जागरुकता के लिए वेबसाइट का शुभारंभ, एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की शुरुआत, क्षेत्रीय भाषाओं में प्रथम वर्ष के इंजीनियरिंग कार्यक्रम, उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए गाइडलाइंस, नेशनल डिजिटल एजुकेशन आर्किटेक्चर (एनडीईएआर) एवं नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम (एनईटीएफ) शामिल हैं। 

यहां जानें इन योजनाओं के बारे में  

विद्या प्रवेश 

नई शिक्षा नीति के सुझावों पर NCERT द्वारा बच्चों के लिए तीन माह का स्कूल प्रीपरेशन मॉड्यूल 'विद्या प्रवेश' तैयार किया गया है। इस पाठ्यक्रम में बच्चों के लिए अक्षर, रंग, आकार और संख्या सीखने के लिए रोचक गतिविधियां होंगी। 

इसका मकसद है शिक्षा की शुरुआत से ही आधारशिला को मजबूत करना, ताकि समाज में सभी समान रूप से आगे बढ़ सकें। पीएम मोदी ने बताया कि विद्या प्रवेश कार्यक्रम के जरिए प्ले स्कूल का कॉन्सेप्ट दूर दराज के इलाकों व गांवों गांवों में जाएगा। 

ये यूनिवर्सल प्रोग्राम के तहत लागू होगा। राज्य भी अपनी जरूरत के हिसाब से लागू करेंगे। बच्चा चाहे गरीब का हो या अमीर का, उसकी पढ़ाई हंसते हंसते होगी। 

अब साइन लेंग्वेज एक विषय के तौर पर पढ़ेंगे 

कक्षा एक से 12 तक के 1200 से भी ज्यादा शैक्षिक वीडियो कार्यक्रमों को भारतीय साइन लेंग्वेज में बनाया है जो दीक्षा पोर्टल पर उपलब्ध है।

 पीएम मोदी ने कहा, 'आज देश में 3 लाख से ज्यादा ऐसे बच्चे हैं जिन्हें चीजों को समझने में साइन लेंग्वेज की जरूरत पड़ती है।

 अब इसे सब्जेक्ट का दर्जा दिया गया है। इससे भारतीय साइन लेंग्वेज को काफी बढ़ावा मिलेगा।'

निष्ठा 2.0

ये दुनिया का सबसे बड़ा शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम है ताकि शिक्षक बच्चों की प्रतिभा को परखकर उसे विकसित कर सकें।

 माध्यमिक स्तर के 10 लाख टीचरों को प्रशिक्षित करने के लिए 68 मॉड्यूल बनाए गए हैं। इसमें टीचरों को बेहतर ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि उनका अध्यापन कार्य और बेहतर हो सके। 

पीएम मोदी ने कहा कि निष्ठा 2.0 भी नई शिक्षा नीति की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा।

 देश के शिक्षकों को आज की जरूरतों के मुताबिक ट्रेनिंग मिलेगी। वह अपने सुझाव भी दे सकेंगे। आप सबसे अनुरोध है कि इन प्रयासों में बढ़चढ़ हिस्सा लें। 

सफल:

सीबीएसई के 25000 स्कूलों के ग्रेड 3, 5 और 8 के 50 लाख बच्चों के लिए इसे तैयार किया गया है। इसमें बच्चों का कोर कॉन्सेप्ट, एप्लीकेशन बेस्ड क्वेश्चन, हायर ऑर्डर थिंकिंग स्किल्स द्वारा आकलन किया जाएगा। 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यक्रम

शिक्षा मंत्रालय, सीबीएसई और इंटल ने मिलकर AI For All प्रोग्राम शुरू किया है। इस कार्यक्रम को लगभग 4 घंटे में पूरा किया जा सकता है। यह 11 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है। 

एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट

एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट एक डिजिटल बैंक की तरह काम करेगा जिसमें छात्र एकेडमिक अकाउंट खोलेंगे जिसमें उनके द्वारा अर्जित क्रेडिट जमा किए जाएंगे। 

छात्र अपने खाते में जमा इन क्रेडिट का उपयोग डिग्री लेने में कर सकेंगे। यूजीसी द्वारा मल्टीपल एंट्री व मल्टीपल एग्जिट की गाइडालंस जारी की गई हैं। 

क्षेत्रीय भाषाओं में प्रथम वर्ष के इंजीनियरिंग कार्यक्रम

AICTE ने 11 क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद के लिए एआई बेस्ड सॉफ्टवेयर तैयार किया है। इस साफ्टवेयर की मदद से स्थानीय भाषाओं में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं। 

उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए गाइडलाइंस

भारतीय और विदेश उच्च शिक्षण संस्थानों में बीच सहयोग बढ़ाने के लिए यूजीसी ने क्रेडिट ट्रांसफर के साथ उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच ट्विनिंग व्यवस्था के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।

 इसे भारतीय छात्रों को जहां वैश्विक स्तर पर लाभ मिलेगा वहीं विदेशी छात्रों के देश में आने से विश्व पटल पर हमारी शैक्षणिक संस्थाओं की साख बढ़ेगी।  

नेशनल डिजिटल एजुकेशन आर्किटेक्चर (एनडीईएआर) एवं नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम (एनईटीएफ)

एनडीईएआर डिजिटल शिक्षा का सबसे बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर होगा। ये ओपन सोर्स व ओपन स्टैंडर्ड पर आधारित होगा। 

यह एक ऐसा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर है जहां टीचिंग, लर्निंग और गवर्नेंस को एक साथ जोड़ा जाएगा जिसका लाभ देश के सभी छात्र, शिक्षक और अभिभावक ले सकेंगे। 

एनईटीएफ एक प्लेटफॉर्म है जो शिक्षा के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के लिए है। 

एनईटीएफ प्रशासन,  शिक्षण, मूल्यांकन व नियोजन जैसे आयामों में केंद्र व राज्यों को सलाह देगा। देश की शिक्षा 21वीं सदी में तेजी से आगे बढ़ सके, इस दिशा में यह अहम साबित होगा। 


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