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AlldUniv Assistant Professor Recruitment: रसायन विज्ञान विभाग में 26 साल बाद शिक्षकों की भर्ती

 इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रयायन विज्ञान विभाग में 26 साल बाद कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव की पहल पर शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई है। 


प्रक्रिया पूरी होते ही विभाग को 42 नए शिक्षक मिल जाएंगे। विभाग में शिक्षकों के कुल 51 पद स्वीकृत हैं। वर्तमान में महज पांच शिक्षक तैनात हैं। एक शिक्षक अवकाश पर हैं। वर्तमान में शिक्षकों के 45 पद रिक्त हैं।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 1922 में रसायन विज्ञान विभाग बना। यह विश्वविद्यालय के चारों संकाय (कला, वाणिज्य, विधि, विज्ञान) में सबसे बड़ा विभाग है। रसायन विज्ञान विभाग में 1994 में शिक्षक भर्ती हुई थी। उस वक्त आठ लेक्चरर और चार रीडर की नियुक्ति हुई थी।

 आखिरी बार 1996 में एक पद के लिए शिक्षक भर्ती हुई थी। अब एक साथ शिक्षकों के पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है। रसायन विभाग में शिक्षक भर्ती के लिए इंटरव्यू 22 से 29 जुलाई के बीच होगा। कुल 42 पदों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 29, एसोसिएट प्रोफेसर के आठ और प्रोफेसर के पांच पद शामिल हैं।

22 जुलाई को प्रोफेसर पद के लिए एससी वर्ग में पांच, ओबीसी वर्ग में तीन और अनारक्षित वर्ग में आठ को चयनित किया गया है।

 इसी दिन एसोसिएट प्रोफेसर पद के लिए एससी वर्ग में चार, ओबीसी वर्ग में 11, अनारक्षित वर्ग में 16 और एसोसिएट प्रोफेसर (फिजिकल केमेस्ट्री) में सात अभ्यर्थी बुलाए गए हैं। 23 जुलाई को असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए पीडब्ल्यूडी ए में आठ, पीडब्ल्यूडी बी में छह, ईडब्ल्यूएस में 24 और विश्लेषणात्मक रसायनशास्त्र के लिए आठ अभ्यर्थियों को बुलाया गया है।

25 जुलाई को असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए एसटी के 13, एससी के 31 अभ्यर्थियों का इंटरव्यू होगा। 26 जुलाई को भी एससी के 15 और ओबीसी के 34 अभ्यर्थियों का इंटरव्यू होगा।

 27 जुलाई को ओबीसी वर्ग के 32 और अनारक्षित वर्ग के 20 अभ्यर्थियों को बुलाया गया है। 28 जुलाई को अनारक्षित वर्ग के 40 अभ्यर्थियो को बुलाया गया है। 29 जुलाई को अनारक्षित वर्ग के 39 अभ्यर्थियों को बुलाया गया है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पीआरओ डॉ. जया कपूर ने कहा, 'रसायन विज्ञान विभाग सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण विभाग है, जो लंबे समय से विश्वविद्यालय के अधिकतर विभागों की तरह शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है। यहां नए शिक्षकों के आने से शिक्षण को गति मिलेगी और शोध को विस्तार व दिशा मिलेगी।' 





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