उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी टीईटी) को आजीवन
मान्य करने के संबंध में परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने शासन को प्रस्ताव भेजा है।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने 9 जून को सभी राज्यों के सचिवों और आयुक्तों को टीईटी की आजीवन वैधता के संबंध में पत्र भेजा था।
उसके अनुपालन में शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। यूपी में जुलाई 2011 में नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद पहली बार 13 नवंबर 2011 को यूपी बोर्ड ने टीईटी कराया था।
उसके बाद 2013 से परीक्षा नियामक प्राधिकारी परीक्षाएं कराता आ रहा है।
हालांकि आजीवन मान्य होने के बावजूद पुरानी परीक्षाओं का प्रमाणपत्र फिर जारी नहीं होगा। जिनके पास प्रमाणपत्र हैं वे उसके आधार पर भर्ती में आवेदन कर सकेंगे।
पहले पांच साल की वैधता के कारण समयसीमा बीतने के बाद बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को दोबारा परीक्षा देनी पड़ती थी।
No comments:
Post a Comment