2018 में हुई 68,500 सहायक शिक्षकों की भर्ती परीक्षा की जांच सीबीआई को नहीं दी जानी चाहिए। यह फैसल इलाहबाद हाईकोर्ट लखनऊ की खंडपीठ ने सोमवार को दिया।
हाईकोर्ट ने पहले सीबीआई जांच के आदेशों पर 11 दिसंबर 2018 को अंतरिम रोक लगा दी थी, लेकिन चीफ जस्टिस वाली दो जजों की पीठ ने इस आदेश को खारिज कर दिया।
परीक्षा में मिली धांधलियों की जांच के लिए राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय समिति बनाई थी। लेकिन इसमें दो सदस्य परीक्षा प्रक्रिया तय करने वाले बेसिक शिक्षा विभाग से होने के तर्क पर एकल जज ने एक नवंबर 2018 को मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए थे। इसे खारिज करते हुए ताजा आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि केवल इस आधार पर कि जांच कर रहे अधिकारी दागी पाए जा रहे विभाग से हैं। मामले की जांच सीबीआई को नहीं दी जानी चाहिए।
फिलहाल कोई अधिकारी इस प्रकार से जांच को प्रभावित करने में शामिल नजर नहीं आया है। ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जो यह कहता हो कि सीबीआई के अलावा किसी अन्य एजेंसी ने जांच की तो इस पर विश्वास कम होगा।
ऐसे असाधारण हालात भी नजर नहीं आते, जिनमें तकनीकी विशेषज्ञता चाहिए और सीबीआई ही यह दे पाए। यह कहना जल्दबाजी होगी कि सरकार की क्षेत्रीय जांच एजेंसी मामले से जुड़े विवादों को सुलझा नहीं पाएगी। इन वजहों के चलते एकल जज के सीबीआई जांच के आदेश बने नहीं रह सकते, इन्हें खारिज किया जाता है। राज्य सरकार की अपील को स्वीकार किया जाता है।
हाईकोर्ट ने पहले सीबीआई जांच के आदेशों पर 11 दिसंबर 2018 को अंतरिम रोक लगा दी थी, लेकिन चीफ जस्टिस वाली दो जजों की पीठ ने इस आदेश को खारिज कर दिया।
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अदालत में तर्क दिया गया था कि दो सदस्य परीक्षा प्रक्रिया तय करने वाले बेसिक शिक्षा विभाग से हों। इसपर एक नवंबर 2018 को मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए थे।परीक्षा में मिली धांधलियों की जांच के लिए राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय समिति बनाई थी। लेकिन इसमें दो सदस्य परीक्षा प्रक्रिया तय करने वाले बेसिक शिक्षा विभाग से होने के तर्क पर एकल जज ने एक नवंबर 2018 को मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए थे। इसे खारिज करते हुए ताजा आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि केवल इस आधार पर कि जांच कर रहे अधिकारी दागी पाए जा रहे विभाग से हैं। मामले की जांच सीबीआई को नहीं दी जानी चाहिए।
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अपने निर्णय में चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस मनीष माथुर ने कहा कि प्रदेश सरकार के अधिकारियों द्वारा की जा रही जांच के उद्देश्य पर संशय नहीं किया जा सकता। सीबीआई को जांच के आदेश इस अनुमान पर दिए गए कि क्षेत्रीय जांच एजेंसियां, जिन पर राज्य सरकार के अधिकारियों का प्रभाव होता है, वे जांच को प्रभावित कर सकती हैं। इस अनुमान के कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं।फिलहाल कोई अधिकारी इस प्रकार से जांच को प्रभावित करने में शामिल नजर नहीं आया है। ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जो यह कहता हो कि सीबीआई के अलावा किसी अन्य एजेंसी ने जांच की तो इस पर विश्वास कम होगा।
ऐसे असाधारण हालात भी नजर नहीं आते, जिनमें तकनीकी विशेषज्ञता चाहिए और सीबीआई ही यह दे पाए। यह कहना जल्दबाजी होगी कि सरकार की क्षेत्रीय जांच एजेंसी मामले से जुड़े विवादों को सुलझा नहीं पाएगी। इन वजहों के चलते एकल जज के सीबीआई जांच के आदेश बने नहीं रह सकते, इन्हें खारिज किया जाता है। राज्य सरकार की अपील को स्वीकार किया जाता है।
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