कोरोना काल के बाद जब प्रदेशभर के 1.58 लाख से अधिक
परिषदीय स्कूल खुलेंगे तो उनमें पहले 40 मिनट की रेमेडियल क्लास लगेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 5 सितंबर 2019 को लखनऊ में मिशन प्रेरणा लांच किया था।
इसका मकसद कक्षा एक से आठ तक के बच्चों में बुनियादी शिक्षा को मजबूत करना है।
बच्चों की शैक्षिक दक्षता की जांच के लिए फरवरी में परीक्षा कराई गई तो बड़ी संख्या में पता चला कि बच्चों में बुनियादी ज्ञान की ही कमी है।
इस कमी को दूर करने के लिए परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों के 5.50 लाख शिक्षकों, शिक्षामित्रों और अंशकालिक अनुदेशकों को 20 जुलाई से 14 अगस्त तक ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जब ये शिक्षक स्कूल खुलने पर वापस कक्षा में जाएंगे तो इनका पहला लक्ष्य बच्चों की न्यूनतम शैक्षिक उपलब्धि सुनिश्चित करना होगा।
इसीलिए पहली बार 40 मिनट की उपचारात्मक कक्षा (रेमेडियल क्लास) का प्रावधान किया गया है क्योंकि बच्चा सुबह-सुबह जब स्कूल पहुंचता है तो उसमें सीखने की सबसे अधिक जिज्ञासा होती है और कठिन से कठिन विषय भी आसानी से सीख लेता है।
इसके लिए राज्य परियोजना कार्यालय और राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट) एलनगंज ने 6 से 17 जुलाई तक ऑनलाइन माध्यम से चार हजार प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण कराया है।
अब ये एआरपी (एकेडमिक रिसोर्स पर्सन), केआरपी (की रिसोर्स पर्सन) एवं एसआरजी (स्टेट रिसोर्स ग्रुप) सीमैट की ओर से तैयार स्टडी मैटेरियल के आधार पर जिलों में प्रशिक्षण दे रहे हैं।
सीमैट के निदेशक संजय सिन्हा ने बताया कि शिक्षक प्रशिक्षक अपने-अपने जिलों में ट्रेनिंग दे रहे हैं।
जब स्कूल खुलेंगे तो पहले 40 मिनट की उपचारात्मक कक्षा चलाई जाएगी ताकि बच्चों की आयु एवं कक्षा के अनुसार शैक्षिक सम्प्राप्ति सुनिश्चित की जा सके।
खास बातें
कक्षा 4 से 8 तक में हिन्दी व गणित विषयों पर केंद्रित
प्रतिदिन पहली क्लास 40 मिनट में ध्यानाकर्षक कक्षाएं
उसके बाद सभी विषयों की कक्षा पाठ्यक्रम के अनुसार
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