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उच्च प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत 1687 प्रोफेशनल डिग्रीधारी शिक्षकों की नौकरी टला संकट, देखें डीटेल्स

बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत 1687
प्रोफेशनल डिग्रीधारी शिक्षकों की नौकरी से संकट टल गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इन शिक्षकों ने राहत की सांस ली है।



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 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 11 जुलाई 2013 को शुरू हुई गणित व विज्ञान के 29334 सहायक अध्यापकों की भर्ती में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की गाइडलाइन के अनुसार बीएससी के अलावा बीटेक, बीसीए, बीफार्मा, बीएससी (कृषि), बीएससी (होम साइंस), बीएससी बायोटेक व फॉरेस्ट्री आदि प्रोफेशनल डिग्रीधारी अभ्यर्थियों ने भी आवेदन किया था।

विज्ञान वर्ग में 12588 और गणित में 13097 अभ्यर्थियों का चयन हुआ। इनमें विज्ञान व गणित वर्ग में क्रमश: 1086 और 601 अभ्यर्थी ऐसे थे जिनके पास प्रोफेशनल डिग्री थी।

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इन डिग्रीधारकों की अर्हता को कुछ ऐसे आवेदकों ने चुनौती दी थी, जिनका चयन नहीं हो सका था। पहले यह मामला हाईकोर्ट में गया और उसके बाद दिसंबर 2019 से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी।

 15 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने प्रोफेशनल डिग्रीधारी शिक्षकों के चयन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।

गौरतलब है कि 21 सितंबर 2015 को 29334 सहायक अध्यापक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया गया था।

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एनसीटीई ने 2011 में ही कर दिया था संशोधन-
एनसीटीई के 23 अगस्त 2010 के नोटिफिकेशन में बीए और बीएससी डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को उच्च प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर भर्ती के लिए अर्ह माना था।

हालांकि 29 जुलाई 2011 को एनसीटीई ने बीए-बीएससी को हटाकर सभी स्नातक डिग्रीधारकों को अर्ह माना। उसके बाद यूपी सरकार ने 29334 भर्ती के लिए 11 जुलाई 2013 के शासनादेश में बीएससी योग्यता रखी थी।

जिसे 23 अगस्त 2013 को संशोधित करते हुए एनसीटीई की अधिसूचना के अनुसार स्नातक या समकक्ष उपाधि कर दी गई।

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इस प्रकार शिक्षक भर्ती के लिए स्नातक स्तर पर गणित या विज्ञान एक विषय के रूप में योग्यता हो गई।

 यही योग्यता अध्यापक सेवा नियमावली 1981 में भी है। इस विवाद के निस्तारण के लिए प्रदेश सरकार ने 4 अगस्त 2014 को एक हाई पावर कमेटी गठित की थी जिसने 3 सितंबर 2014 को प्रोफेशनल डिग्रीधारियों के पक्ष में रिपोर्ट दी थी।

इन प्रोफेशनल डिग्रीधारियों को विज्ञान वर्ग में बीटीसी और बीएड में प्रशिक्षण दिया गया था और विज्ञान वर्ग में ही टीईटी देने के बाद इन्हें विज्ञान व गणित विषय के अध्यापक के रूप में नियुक्ति दी गई थी।

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इनका कहना है-
नियुक्ति के पांच साल बाद तक वैध शिक्षकों को किसी न किसी केस में फंसा कर परेशान किया जाता रहा लेकिन अंत में जीत हुई।

याची राहत के नाम पर किस तरह बेरोजगारों को बेवकूफ बनाया जाता है, इसे याचियों को भी समझना चाहिए। वर्षों से चले आ रहे संघर्ष का सुखद अंत हो ही गया।
- अनिल राजभर, 29334 शिक्षक भर्ती में नियुक्त अध्यापक

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