राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) द्वारा आयोजित किया जाने वाला
कॉमन एलेजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) तीन स्तर का होगा।
उम्मीदवार अपनी योग्यता के हिसाब से परीक्षा चुन सकेंगे।
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कार्मिक मंत्रालय के अनुसार, सीईटी के ये तीन स्तर ग्रेजुएट, इंटर मीडिएट तथा हाईस्कूल तक पढ़े उम्मीदवारों के लिए निर्धारित किए गए हैं।
टेस्ट के लिए आवेदन से लेकर प्रवेश पत्र प्राप्त करने की पूरी प्रक्रिया आनलाइन होगी। उम्मीद स्वयं अपना परीक्षा केंद्र चुन सकेंगे।
सीईटी में उम्मीदवार के बैठने की कोई अधिकतम सीमा तय नहीं की गई है। यदि कोई राज्य सीईटी के स्कोर से भर्ती करना चाहता है तो उसे यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
सीईटी से समय एवं धन दोनों की बचत होगी। सीईटी में वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाएंगे।
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12 भाषाओं में होगी परीक्षा:
कार्मिक सचिव सी. चन्द्रमौली ने बताया कि यह एजेंसी 12 भाषाओं में परीक्षा का आयोजन करेगी।
तीन वर्ष तक स्कोर मान्य होगा। इस बीच उम्मीदवार अपने स्कोर में सुधार के लिए आगामी परीक्षा में भी बैठ सकेगा। परीक्षा के प्रश्न एक संयुक्त प्रश्न बैंक से लिए जाएंगे।
एक तरह के पदों के लिए एक परीक्षा:
अलग-अलग विभागों में एक ही तरह के सरकारी पदों के लिए एक ही परीक्षा कराई जाएगी।
राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) ग्रुप बी और ग्रुप सी (गैर तकनीकी) पदों के लिये साझा पात्रता परीक्षा के जरिये उम्मीदवारों की छंटनी (स्क्रिनिंग) करेगी।
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NRA की शुरुआत रेलवे, बैंकिंग और एसएससी की आरंभिक परीक्षाओं को मर्ज करने से होगी।
यानी RRB, IBPS और SSC जो भर्ती परीक्षाएं आयोजित करते हैं, उनकी केवल प्रारंभिक परीक्षाएं ( प्रीलिम्स ) एनआरए द्वारा आयोजित की जाएगी।
प्रारंभिक परीक्षाओं के बाद की भर्ती प्रक्रिया व परीक्षा के चरण RRB, IBPS और SSC ही संभालेंगे।
अभी रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी), इंस्टीट्यूट आफ बैंकिंग पर्सनल सलेक्शन (आईबीपीएस) तथा कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) द्वारा आयोजित की जाने वाली आरंभिक परीक्षाओं को ही इसमे मर्ज किया जाएगा।
इसके बाद धीरे धीरे अन्य परीक्षाएं भी इसमें शामिल की जाएंगी। केंद्र की करीब 20 एजेंसियां भर्ती परीक्षाएं आयोजित करती हैं जो चरणबद्ध तरीके से इसमें मर्ज हो जाएंगी।
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भर्ती एजेंसियों की जगह NRA के आने से होंगे बड़े फायदे:
- गरीब उम्मीदवारों को राहत- कई परीक्षाएं होने से अभ्यर्थियों को बार-बार परीक्षा फीस देने, शहरों में आने-जाने और रहने के खर्च भरने के डर से तमाम गरीब छात्र नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर पाते थे। लेकिन अब उन्हें हर परीक्षा के लिए बार-बार फार्म नहीं भरना पड़ेगा।
- महिलाओं को सहूलियत- तमाम महिला अभ्यर्थी और दिव्यांग सिर्फ इसी वजह से फार्म नहीं भरते थे कि उन्हें दूसरे शहर जाकर परीक्षा देनी पड़ेगी।
सुरक्षा भी एक बड़ी वजह होती थी। नए फैसले से फिर उन्हें हौसला मिलेगा क्योंकि महज कुछ घंटों में वे परीक्षा देकर फिर घर आ सकेंगी।
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- एजेंसियों पर बोझ घटेगा- अलग-अलग भर्ती परीक्षाएं केवल उम्मीदवारों ही नहीं बल्कि संबंधित भर्ती एजेंसियों पर भी बोझ होती हैं।
हर बार उन्हें अलग-अलग तैयारियां करनी पड़ती थीं। अब उनके लिए भी सहूलियत होगी। एक बार परीक्षा करानी होगी और एक बार रिजल्ट निकालना होगा।
- राज्य सरकारों को भी लाभ- केंद्र, राज्य सरकारों के साथ राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी की ओर से आयोजित परीक्षा का परिणाम साझा करेगी। राज्य इसे स्वीकार करते हैं तो राज्यों में नियुक्तियां भी इसी से हो सकेंगी।
केंद्रों के विकल्प दे सकेंगे- उम्मीदवारों को जल्द ही एक सामान्य पोर्टल पर पंजीकरण और परीक्षा केंद्रों का विकल्प देने की सुविधा होगी।
उपलब्धता के आधार पर केंद्र आवंटित होंगे। पहले भी ऐसा होता था लेकिन अब एक परीक्षा होने से ज्यादा फायदा होगा।
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एक साथ लाखों का टेस्ट- सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि एक साथ लाखों लोगों की परीक्षा ली जा सकेगी, इसके लिए बहुत सारा संसाधन झोंकने की भी जरूरत नहीं होगी। खर्च भी काफी कम आएगा और पारदर्शिता भी बनी रहेगी।
राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के गठन और सरकारी नौकरियों के लिए आरंभिक परीक्षाओं के विलय करने की सरकार की यह योजना अच्छा कदम है।
इससे छात्रों को अनेक परीक्षाओं में बैठने से निजात मिलेगी। उनसे समय और धन की भी बचत होगी।
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सही मायने में सरकारी महकमों को भी इससे फायदा है। उनका भी काफी समय और बजट परीक्षाओं के आयोजन एवं उनके रिजल्ट निकालने में व्यय होता है।
निसंदेह इससे परीक्षा के आवेदन से लेकर रिजल्ट आने और नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने में मदद मिलेगी।
चूंकि भर्ती एजेंसी किसी महकमे से संबद्ध नहीं होगी, इसलिए उम्मीद है कि इससे भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी। लेकिन यह पारदर्शिता तब ज्यादा होगी जब भर्ती की पूरी प्रक्रिया एनआरए ही करे।
सरकार ने नई एजेंसी बनाई है लेकिन बेहतर होता कि यह कार्य संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भी सौंपा जा सकता था।
यूपीएससी उच्च स्तर के पदों पर भर्तियां करता है और काम की अधिकता की वजह से शायद अलग एजेंसी बनाई गई है। लेकिन इस एजेंसी की असल चुनौती होगी कि वह परीक्षा आयोजन में यूपीएससी की भांति एक सम्माजनक जगह अपने लिए पैदा करे तभी लोगों का विश्वास इस नई व्यवस्था पर जमेगा।
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टेस्ट के लिए आवेदन से लेकर प्रवेश पत्र प्राप्त करने की पूरी प्रक्रिया आनलाइन होगी। उम्मीद स्वयं अपना परीक्षा केंद्र चुन सकेंगे।
सीईटी में उम्मीदवार के बैठने की कोई अधिकतम सीमा तय नहीं की गई है। यदि कोई राज्य सीईटी के स्कोर से भर्ती करना चाहता है तो उसे यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
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कार्मिक सचिव सी. चन्द्रमौली ने बताया कि यह एजेंसी 12 भाषाओं में परीक्षा का आयोजन करेगी।
तीन वर्ष तक स्कोर मान्य होगा। इस बीच उम्मीदवार अपने स्कोर में सुधार के लिए आगामी परीक्षा में भी बैठ सकेगा। परीक्षा के प्रश्न एक संयुक्त प्रश्न बैंक से लिए जाएंगे।
एक तरह के पदों के लिए एक परीक्षा:
अलग-अलग विभागों में एक ही तरह के सरकारी पदों के लिए एक ही परीक्षा कराई जाएगी।
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इसके बाद धीरे धीरे अन्य परीक्षाएं भी इसमें शामिल की जाएंगी। केंद्र की करीब 20 एजेंसियां भर्ती परीक्षाएं आयोजित करती हैं जो चरणबद्ध तरीके से इसमें मर्ज हो जाएंगी।
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- गरीब उम्मीदवारों को राहत- कई परीक्षाएं होने से अभ्यर्थियों को बार-बार परीक्षा फीस देने, शहरों में आने-जाने और रहने के खर्च भरने के डर से तमाम गरीब छात्र नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर पाते थे। लेकिन अब उन्हें हर परीक्षा के लिए बार-बार फार्म नहीं भरना पड़ेगा।
- महिलाओं को सहूलियत- तमाम महिला अभ्यर्थी और दिव्यांग सिर्फ इसी वजह से फार्म नहीं भरते थे कि उन्हें दूसरे शहर जाकर परीक्षा देनी पड़ेगी।
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- एजेंसियों पर बोझ घटेगा- अलग-अलग भर्ती परीक्षाएं केवल उम्मीदवारों ही नहीं बल्कि संबंधित भर्ती एजेंसियों पर भी बोझ होती हैं।
हर बार उन्हें अलग-अलग तैयारियां करनी पड़ती थीं। अब उनके लिए भी सहूलियत होगी। एक बार परीक्षा करानी होगी और एक बार रिजल्ट निकालना होगा।
- राज्य सरकारों को भी लाभ- केंद्र, राज्य सरकारों के साथ राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी की ओर से आयोजित परीक्षा का परिणाम साझा करेगी। राज्य इसे स्वीकार करते हैं तो राज्यों में नियुक्तियां भी इसी से हो सकेंगी।
केंद्रों के विकल्प दे सकेंगे- उम्मीदवारों को जल्द ही एक सामान्य पोर्टल पर पंजीकरण और परीक्षा केंद्रों का विकल्प देने की सुविधा होगी।
उपलब्धता के आधार पर केंद्र आवंटित होंगे। पहले भी ऐसा होता था लेकिन अब एक परीक्षा होने से ज्यादा फायदा होगा।
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एक साथ लाखों का टेस्ट- सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि एक साथ लाखों लोगों की परीक्षा ली जा सकेगी, इसके लिए बहुत सारा संसाधन झोंकने की भी जरूरत नहीं होगी। खर्च भी काफी कम आएगा और पारदर्शिता भी बनी रहेगी।
राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के गठन और सरकारी नौकरियों के लिए आरंभिक परीक्षाओं के विलय करने की सरकार की यह योजना अच्छा कदम है।
इससे छात्रों को अनेक परीक्षाओं में बैठने से निजात मिलेगी। उनसे समय और धन की भी बचत होगी।
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सही मायने में सरकारी महकमों को भी इससे फायदा है। उनका भी काफी समय और बजट परीक्षाओं के आयोजन एवं उनके रिजल्ट निकालने में व्यय होता है।
निसंदेह इससे परीक्षा के आवेदन से लेकर रिजल्ट आने और नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने में मदद मिलेगी।
चूंकि भर्ती एजेंसी किसी महकमे से संबद्ध नहीं होगी, इसलिए उम्मीद है कि इससे भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी। लेकिन यह पारदर्शिता तब ज्यादा होगी जब भर्ती की पूरी प्रक्रिया एनआरए ही करे।
सरकार ने नई एजेंसी बनाई है लेकिन बेहतर होता कि यह कार्य संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भी सौंपा जा सकता था।
यूपीएससी उच्च स्तर के पदों पर भर्तियां करता है और काम की अधिकता की वजह से शायद अलग एजेंसी बनाई गई है। लेकिन इस एजेंसी की असल चुनौती होगी कि वह परीक्षा आयोजन में यूपीएससी की भांति एक सम्माजनक जगह अपने लिए पैदा करे तभी लोगों का विश्वास इस नई व्यवस्था पर जमेगा।
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