कॉपियों में नोट रखने की प्रवृत्ति हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं से होते हुए डीएलएड तक पहुंची, डीएलएड की कॉपियों से चार दिन में निकले एक लाख रुपये - updatesbit

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कॉपियों में नोट रखने की प्रवृत्ति हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं से होते हुए डीएलएड तक पहुंची, डीएलएड की कॉपियों से चार दिन में निकले एक लाख रुपये

परीक्षा में पास होने के लिए कॉपियों में नोट रखने की प्रवृत्ति


हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं से होते हुए डीएलएड तक पहुंच गई है।

 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) सीतापुर में इन दिनों डीएलएड 2018 बैच चतुर्थ सेमेस्टर की कॉपियों का मूल्यांकन चल रहा है।

 इस दौरान पिछले दिनों गणित की उत्तरपुस्तिकाओं में चार दिन में तकरीबन एक लाख रुपये के नोट मिले हैं।

एक शिक्षक ने रुपये रखकर फेल अभ्यर्थी को पास कर दिया। अंकेक्षण के दौरान फेल अभ्यर्थी को पास करने की बात पकड़ में आ गई। उसके बाद बिना जंची हुई कॉपियों को देखा गया तो उसमें से नोट मिलने लगे। 

चार दिन में कुल लगभग एक लाख रुपये मिलने पर डायट प्राचार्य ने धनराशि कोषागार में जमा करवाते हुए इसकी रिपोर्ट परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय प्रयागराज को भेज दी। 

गोपनियता के लिहाज से यह पता नहीं चल सका है कि कॉपियां किस जिले की हैं। 

पास होने, अधिक मेरिट के लालच में रखे नोट

डीएलएड की कॉपियों में नोट मिलने के पीछे दो प्रमुख कारण हैं। एक तो हाईस्कूल से लेकर इंटर और स्नातक तक नकल या कॉपियों में नोट रखकर पास होने वाले छात्र डीएलएड में भी इसी तिकड़म से पास होना चाहते हैं। 

अन्य विषयों की तुलना में गणित कठिन होता है और उसमें कुछ भी लिखकर पास होना संभव नहीं इसलिए इसमें नोट रखने की प्रवृत्ति अधिक है। दूसरा कारण अच्छी मेरिट के लिए अधिक नंबर पाने का लालच होता है।

 परिषदीय स्कूलों की शिक्षक भर्ती के लिए बनने वाली मेरिट में डीएलएड के अंकों को भी जोड़ा जाता है इसलिए छात्र नोट रखते हैं। भावना शिक्षार्थी, पूर्व सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी का कहना है कि ये खतरनाक संकेत हैं।

 इससे योग्य अभ्यर्थयों का नुकसान होगा। यदि नकल मारकर या कॉपियों में नोट रखकर पास होने वाले लोग शिक्षक बन गए तो हजारों बच्चों का भविष्य चौपट कर देंगे। 

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