केंद्र सरकार के बाद अब यूपी में अध्यापक पात्रता परीक्षा के
प्रमाणपत्र को आजीवन मान्य करार देने की तैयारियां शुरू हो गई हैं।
अभी तक यूपी में टीईटी प्रमाणपत्र पांच वर्ष के लिए मान्य है। प्राइमरी व जूनियर स्कूलों यानी कक्षा एक से आठ तक पढ़ाने के लिए टीईटी अनिवार्य होता है।
यह सिर्फ पात्रता परीक्षा है। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. सतीश चन्द्र द्विवेदी ने कहा कि केन्द्र सरकार ने छात्रों के हित में फैसला लिया है। हम भी इस दिशा में कदम उठाएंगे।
उन्होंने कहा कि इस पात्रता परीक्षा के बाद हम शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा लेते हैं। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत टीईटी की शुरुआत 2011 से हुई।
शुरुआत में यह तीन वर्ष के लिए ही मान्य था। हालांकि केंद्र सरकार ने 2020 में इसे सात वर्ष के लिए मान्य करार किया था लेकिन यूपी में अभी तक इस दिशा में निर्णय नहीं लिया जा सका था। यूपी में यह पांच वर्ष तक के लिए ही मान्य है।
केन्द्र व राज्य सरकारें अलग-अलग टीईटी करवाती हैं। चूंकि केन्द्र ने इसे 2011 से मान्य किया है, लिहाजा इस बीच रद्द हो गए टीईटी प्रमाणपत्रों को भी प्रभावी करने के लिए कार्रवाई करनी पड़ेगी।
पात्रता आजीवन रहने पर अभ्यर्थियों को बार-बार परीक्षा में बैठने से मुक्ति मिलेगी और आवेदन शुल्क भी नहीं देना पड़ेगा।
वहीं परीक्षा इंतजामों पर खर्च से भी निजात मिलेगी। अगले वर्ष से इसका असर दिखना शुरू हो जाएगा और टीईटी में अभ्यर्थियों की संख्या घटने लगेगी।
अभी हर अभ्यर्थी दो से तीन साल के अंतर पर टीईटी देता है कि यदि एक साल टीईटी न हो तो उसके प्रमाणपत्र की वैधता बनी रहे।
No comments:
Post a Comment