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अनाथ हुए सभी बच्चों का सहारा बनेगी योगी सरकार, मिलेंगी 2500 रुपये, 23 वर्ष तक आर्थिक सहायता हर महीने

राज्य सरकार ने अब प्रदेश के अनाथ बच्चों को आर्थिक मदद देने का निर्णय लिया है। 


‘मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य)’ के तहत ऐसे किशोरों को भी मदद मिलेगी जो किसी भी कारण से अनाथ या प्रभावित हुए हों या फिर भिक्षावृत्ति, बाल वेश्यावृत्ति आदि से मुक्त हुए हों।

 कोविड संक्रमण या अन्य कारणों से अनाथ या प्रभावित हुए 18 वर्ष से कम और 18 से 23 वर्ष के किशोरों व युवाओं को 2500 रुपये प्रतिमाह की मदद दी जाएगी। इस संबंध में सोमवार को कैबिनेट बाईसर्कुलेशन में निर्णय लिया गया है।

इस योजना का लाभ परित्यक्त व तलाकशुदा महिलाओं के बच्चों को भी दिया जाएगा।

 अभी लगभग 4500 बच्चों को ‘मुख्यमंत्री बाल विकास योजना’ के तहत 4000 रुपये प्रति माह दिए जा रहे हैं, जिन्होंने कोविड संक्रमण के कारण अपने माता-पिता या किसी एक अभिभावक को खो दिया है। 

अब इस नई योजना में उन बच्चों को भी शामिल किया गया है जो किसी भी कारण से अनाथ या प्रभावित हुए हों। योजना में 18-23 वर्ष तक के किशोरों-युवाओं को भी मदद दी जाएगी। 

23 वर्ष की आयु तक लाभ

इस योजना का लाभ एक परिवार के अधिकतम दो बच्चों को मिल सकेगा। कक्षा 12 की शिक्षा के बाद आगे की पढ़ाई में 23 वर्ष तक इस योजना का लाभ दिया जाएगा। 

यदि प्रभावित युवा का डिप्लोमा 23 साल से पहले पूरा होगा तो लाभ तभी तक मिलेगा।

 योजना के क्रियान्वयन में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों के दृष्टिगत योजना में संशोधन एवं परिवर्तन के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया है।

ऐसे किशोर-युवा पात्र होंगे 

-18 वर्ष से कम आयु के ऐसे बच्चे जिन्होंने किसी भी कारण से अपने माता-पिता या माता-पिता में से किसी एक को या फिर अपने अभिभावक को खो दिया हो। 

-18 से 23 वर्ष के ऐसे युवा जिन्होंने कोविड या अन्य कारणों से अपने माता-पिता दोनों या इनमें से एक या फिर अपने अभिभावक को खो दिया है। 

-ऐसा किशोर जो कक्षा 12 तक शिक्षा पूरी करने के बाद सरकारी कॉलेज, विवि या तकनीकी संस्थान से स्नातक डिग्री या डिप्लोमा की शिक्षा ले रहा हो या फिर नीट, जेईई, क्लैट जैसी राष्ट्रीय व राज्यस्तरीय प्रतियोगी परीक्षाएं उत्तीर्ण कर चुका हो। 

-ऐसे किशोर या युवा जिनकी मां तलाकशुदा स्त्री या परित्यक्ता है या फिर माता-पिता या परिवार का मुख्य सदस्य जेल में हो या फिर ऐसे बच्चे जिन्हें बाल श्रम, बाल भिक्षावृत्ति/बाल वेश्यावृत्ति से मुक्त कराकर परिवार/पारिवारिक वातावरण में समायोजित कराया गया हो।

-भिक्षावृत्ति/वेश्यावृत्ति में शामिल परिवारों के बच्चे 


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