️बेसिक️ बेसिक️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ यह पेस्ट खराब होने के बाद खराब हो जाएगा।
इस पावन पर्व परिवार के लिए ये खुशियां हैं। मेयूसी है। तापमान पर भी लागू होता है.
यह पहला मौका है I नौकरी के लिए संक्रमित कर्मचारी। हर माह मासिक भुगतान भुगतान करने की नियमावली। पर, प्रक्रिया के बाद भरने वाले विभाग में भरने वालों की समस्या होती है। बार संतुष्ट करने वाला है।
प्रबंधन से ग्रंट के लिए पेंशन का पूरा भुगतान करना होगा। हाल ही में रसोइया,अनुदेशक और शिक्षा का भी है। खराब होने की स्थिति में खराब होने की स्थिति में -27 मद से आने वाले त्योहारों पर खराब होने की स्थिति में, इस बार पूर्व का भुगतान भुगतान नहीं किया जाएगा।
प्राइमरी शिक्षक संघ के जेल केशव मणि त्रिपाठी और जिला सत्येंद्र कुमार मिश्र ने कि दरिया पूजा और दशहरा जैसे कहावर को बेहतर प्रदर्शन के लिए मायूसी है और विदाई दी है। विभाग की बेहूदगी हुई। ग्रांटिंग निष्क्रियता और बेहूदगी।
सोशल मीडिया पर छलका शिक्षकों का दर्द
प्राइमरी के शिक्षक सोशल मीडिया ग्रुप पर वेतन नहीं मिलने पर मायूसी दिखा रहे हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ के सदर ब्लाक मंत्री अखिलेश पाठक का कहना है कि नवरात्रि और दशहरे पर भी शिक्षकों को वेतन न देना वास्तव में दुखद है। ऐसा पहली बार हुआ है। वेतन के लिए ग्रांट देना विभाग और सरकार की जिम्मेदारी है। वेतन का ग्रांट नहीं देना बेहद खेदजनक स्थिति है कि समय से वेतन नहीं मिला। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। चंद्रभान प्रसाद का कहना है कि रसोइया बेचारी 8 माह से मानदेय नही पाई है। इस बीच मे उनकी आर्थिक स्थिति खराब होने पर शिक्षक ही मदद करता है।
वेतन नहीं मिलने से कई तरह की समस्याएं खड़ी हो गई हैं।
एक शिक्षक ने शिक्षक संगठनों को ही कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि जिस ग्रांट की मांग अब हो रही है यदि यही मांग पिछले महीने ही हुई होती तो वेतन कब का आ गया होता। दूसरे शिक्षक का कहना है कि एक बार पहली तारीख को वेतन क्या मिल गया, संगठन-संगठन खेलने वालों मे श्रेय लेने की होड़ लग गई।
आज दशहरा भी बीत रहा है। कमोवेश दीवाली भी न बीत जाए? किसी नेता का बयान भी नही आ रहा है। दुर्गेश चंद्र का कहना है कि पे-रोल सिस्टम लागू होने के बाद समय से अर्थात् हर माह की पहली तारीख को वेतन शिक्षकों के बैंक खाते में जमा हो जाएगा।
बेसिक शिक्षकों के लिए पे-रोल सिस्टम ही नहीं दुनिया का कोई भी रोल और सिस्टम लागू कर दिया जाए हर माह की एक तारीख को वेतन खाते में जमा होना लगभग असम्भव ही मानकर चलिए।
दरअसल सपने कुछ भी दिखा दिए जाएं या लक्ष्य कुछ भी रख दिया जाए जब तक जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी के प्रति सक्रिय नहीं होंगे कोई भी कार्य समय पर पूर्ण नहीं हो सकता।
वास्तव में सभी को अपनी नहीं बल्कि सामने वाले/अधीनस्थ के जिम्मेदारी और लापरवाही की ही फिक्र है। शिक्षक नेता दयानंद त्रिपाठी दुष्यंत कुमार की शायरी 'कहां तो तय था चरागां हर एक घर के लिए, कहां चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए की पंक्तियों के साथ ट्वीट किए हैं कि नवरात्रि दशहरा बिना वेतन
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