इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि जूनियर, सीनियर बेसिक स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्ति में टीईटी की अनिवार्यता कानून पहले से कार्यरत अध्यापकों पर लागू नहीं होगा।
2010 से पहले से कार्यरत अध्यापक के प्रधानाध्यापक नियुक्ति मामले में पांच वर्ष का अध्यापन अनुभव रखने वाले अध्यापक की नियुक्ति अवैध नहीं मानी जा सकती।
The Best Online Part time jobs for students and Moms
टीईटी की अनिवार्यता इस कानून के लागू होने से पहले के अध्यापकों पर लागू नहीं होगी। ऐसे में टीईटी उत्तीर्ण बगैर अध्यापन अनुभव के आधार पर प्रधानाध्यापक पद पर नियुक्ति की जा सकती है।
कोर्ट ने बीएसए प्रतापगढ़ की नियुक्ति को वैध न मानने के आदेश को रद्द कर दिया है और नए सिरे से दो माह में आदेश करने का निर्देश दिया है।
The best paid to click (PTC) websites for 2019
यह आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली ने ओम प्रकाश त्रिपाठी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी का कहना था कि याची 2007 में सहायक अध्यापक नियुक्त हुआ, उस समय अध्यापक नियुक्ति में टीईटी अनिवार्य नहीं था।
ऐसे में याची की नियुक्ति पूर्णतया वैध थी। जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक की नियुक्ति का 2018 में विज्ञापन जारी हुआ। याची व अन्य लोग शामिल हुए। याची का चयन कर अनुमोदन के लिए बीएसए को भेजा गया।
बीएसए प्रतापगढ़ ने नियुक्ति को यह कहते हुए वैध नहीं माना कि याची टीईटी उत्तीर्ण नहीं है। इसे चुनौती दी गई। तर्क दिया गया कि टीईटी की अनिवार्यता का कानून 2010 में लागू हुआ। राज्य सरकार ने इसे 2012 में प्रभावी किया। याची इसके लागू होने के पहले से अध्यापक है।
वह प्रधानाध्यापक के लिए पांच वर्ष के अनुभव सहित कानून के तहत निर्धारित योग्यता रखता है। उस पर बाद में आया हुआ कानून लागू नहीं होगा।
Top10 Online survey Sites that pay Quick Money
प्रधानाध्यापक के लिए नियमावली में निर्धारित योग्यता रखने के कारण उसकी नियुक्ति नियमानुसार होने के कारण वैध है। जिसे कोर्ट ने न्यायिक निर्णयों व क़ानूनी प्रावधानों पर विचार करते हुए सही माना और बीएसए को सकारण आदेश करने का निर्देश देते हुए याचिका स्वीकार कर ली है।
No comments:
Post a Comment