इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा की सामान्य
अंग्रेजी में स्नातक डिग्री को टीजीटी अंग्रेजी विषय के लिए मान्य करार न देने के मामले में याचियों को 10 सितम्बर को होने वाले साक्षात्कार में शामिल करने का निर्देश दिया है।
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साथ ही माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और राज्य सरकार से याचिका पर जवाब मांगा है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने आशीष कुमार व अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर अधिवक्ता सीमांत सिंह को सुनकर दिया है।
2016 में विज्ञापित टीजीटी अंग्रेजी विषय के आवेदक याची लिखित परीक्षा में सफल हुए और उन्हें साक्षात्कार में बुलाया गया लेकिन शामिल नहीं किया गया।
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बोर्ड का कहना है कि याचियों के पास बीए की जो डिग्री है, उसमें अंग्रेजी भाषा या अंग्रेजी साहित्य विषय के रूप में नहीं है। जबकि विज्ञापन की शर्त है कि अंग्रेजी भाषा या अंग्रेजी साहित्य में कोई एक विषय के रूप में होना चाहिए।
याचिका में कहा गया कि अम्बेडकर विश्वविद्यालय का आर्डिनेंस है कि दाखिले के समय संस्कृत, हिंदी और सामान्य अंग्रेजी अनिवार्य विषय के रूप में शामिल होंगे।
विश्वविद्यालय ने इस बात का प्रमाणपत्र भी दिया है कि उनकी सामान्य अंग्रेजी, अंग्रेजी भाषा विषय के समकक्ष है।
यह भी कहा गया कि इससे पूर्व की भर्ती में अम्बेडकर विश्वविद्यालय से स्नातक करने वाले अभ्यर्थियों का चयन किया गया है और वे अंग्रेजी अध्यापक के रूप में काम भी कर रहे हैं।
ऐसे में बोर्ड दोहरा मापदंड अपना रहा है। कोर्ट ने इस मामले में बोर्ड से जानकारी मांगी थी।
बोर्ड के अधिवक्ता का कहना था कि पूर्व की भर्ती में गलती से दो ऐसे अभ्यर्थियों की नियुक्ति की गई है, जो अम्बेडकर विश्वविद्यालय से स्नातक थे लेकिन गलती को दोहराया नहीं जा सकता।
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कोर्ट ने याचियों को साक्षात्कार में शामिल करने का निर्देश दिया है। हालांकि उनका परिणाम याचिका के निर्णय पर निर्भर करेगा।
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