Recruitment in bihar : राज्य में संविदा के आधार पर नियोजन स्वीकृत पदों के विरुद्ध ही
किया जा सकेगा।
स्थाई नियुक्ति में विलंब की सूरत में जितने पद स्वीकृत होंगे उतनी ही संख्या में संविदा पर नियुक्ति की जा सकती है। वहीं, केन्द्र प्रायोजित योजनाओं या अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों द्वारा वित्त संपोषित परियोजनाओं में योजना अवधि तक के लिए ही नियोजन किया जा सकता है।
सामान्य प्रशासन विभाग ने शुक्रवार को संविदा के आधार पर नियोजन के लिए मागदर्शक सिद्धांत तय कर दिया। इससे संबंधित संकल्प भी जारी कर दिया गया है।
संकल्प के मुताबिक बीपीएससी, कर्मचारी चयन आयोग, तकनीकी सेवा आयोग या राज्य सरकार द्वारा गठित किसी अन्य आयोग द्वारा नियमित नियुक्तियों की अनुशंसा भेजने में विलंब होने की सूरत में भी स्थाई नियुक्ति वाले पद पर संविदा आधारित नियोजन नहीं किया जा सकता है।
विशेष परिस्थिति में इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी लेनी होगी। वह भी तबतक के लिए जबतक की नियमित नियुक्ति न हो जाए।
विज्ञापन निकालना अनिवार्य होगा
परियोजना के तहत स्वीकृत पद या ऐसे पद जिनका सृजन ही संविदा नियोजन के लिए किया गया है, वहां संविदा पर लेने के लिए विज्ञापन निकालना होगा। इसमें वहीं योग्यता होगी जैसा संबंधित योजना के लिए निर्धारित किया गया हो।
नियोजन के लिए सक्षम प्राधिकार के साथ उम्मीदवार की न्यूनतम व अधिकतम उम्र सीमा तय होगी। इन पदों पर नियुक्त होनेवाले न तो सरकारी सेवक माने जाएंगे ना ही उनकी तरह सुविधाओं के हकदार होंगे। सरकारी सेवा में नियमित करने का उनका कोई दावा भी नहीं बनेगा।
अस्वस्थता, अनुशासनिक आधार पर या असंतोषजनक सेवा के चलते स्वीकृत अवधि के पूर्व नियोजन को समाप्त किया जा सकता है। नियोजित किए जाने से पहले एकरारनामा भी किया जाएगा।
नियमित नियुक्ति वाली अहर्ताएं ही लागू होंगी
स्थाई पदों के विरुद्ध विलंब की सूरत में संविदा पर होने वाली बहाली के लिए वहीं योग्यता निर्धारित होगी जो स्थाई नियुक्ति के लिए तय होगी। इन पदों पर नियुक्त होने वाले भी सरकारी सेवक नहीं माने जाएंगे। यह अस्थाई होगा और नियमित नियुक्ति तक के लिए मान्य होगा।
जहां संविदाकर्मी कार्यरत हैं, वहां यदि उनकी जरूरत नहीं है और दूसरे विभाग में पद रिक्त हैं तो उन्हें नए संविदा के आधार पर समान पदनाम और योग्यता वाले पदों पर वहां नियुक्त किया जा सकेगा।
नियमिति नियुक्ति के लिए साक्षात्कार या परीक्षा में पास नहीं करने वाले संविदाकर्मी वहां तभी तक काम कर सकते हैं, जब तक पद रिक्त हो।
संविदाकर्मियों का मानेदय विकास आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा तय किया जाएगा। समिति बाजार दर और सरकार में उपलब्ध समान पद के प्रारंभिक स्तर के वेतन, महंगाई भत्ता और अन्य भत्तों को मिलाकर समेकित रूप से प्राप्त योगफल के आधार पर मानदेय तय करेगी। पर किसी भी सूरत में मानदेय न्यूनतम मजदूरी से कम नहीं होगा।
अवकाश की सुविधा मिलेगी
संविदाकर्मियों को आकस्मिक, अर्जित समेत कई तरह के अवकाश की सविधा मिलेगी। सप्ताह में 5 कार्यदिवस वाले कार्यालयों में एक वर्ष में 12 और 6 कार्यदिवस वाले कार्यालयों के लिए 16 अवकाश होंगे।
अर्जित अवकाश एक वर्ष में 16 दिन (नियोजन के दूसरे वर्ष से लागू) एवं अधिकतम 60 दिन का अवकाश संचित किया जा सकेगा। महिला कर्मियों को 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश मिलेगा।
पितृत्व अवकाश 15 और अवैतनिक अवकाश अधिकतम 30 दिनों का होगा। पर अवकाश इनका अधिकार नहीं होगा। सक्षम प्राधिकार की अनुमति जरूरी होगी। बिना सूचना के 15 दिन या इससे ज्यादा अनुपस्थित रहने पर उनके पद को रिक्त घोषित कर दिया जाएगा।
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