लोहिया संस्थान प्रशासन ने तीन साल नौकरी की आस में बैठे 21
हजार से ज्यादा आवेदकों को तगड़ा झटका दिया है।
संस्थान प्रशासन ने तीन साल पहले निकाले गए विज्ञापन को रद्द कर दिया है।
वहीं संस्थान प्रशासन ने बेरोजगारों से जमा कराए गए शुल्क वापसी पर कोई फैसला नहीं किया। बेरोजगारों का लाखों रुपये संस्थान दबाए बैठा है।
लोहिया संस्थान में वर्ष 2016 में 456 गैर शैक्षिणक पदों की मंजूरी मिली। इनमें पैरामेडिकल, टेक्नीशियन, कम्प्यूटर ऑपरेशन, सोशल वर्कर, रिकार्ड ऑफिसर समेत अन्य पद थे।
जनवरी 2017 में भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया। करीब 21 हजार बेरोजगारों ने तय शुल्क अदा कर आवेदन जमा किए। आवेदनों की छटाई का काम शुरू हुआ।
इसी दौरान सरकार बदल गई। उसके बाद भर्ती प्रक्रिया रोक दी गई। तबसे बेरोजगार संस्थान में भटक रहे हैं। उन्हें सही जवाब देने वाला कोई नहीं था। बेरोजगारों का कहना है कि बड़ी संख्या में आवेदकों की उम्र निकल गई।
आवेदकों के पैसे वापसी पर फैसला नहीं
संस्थान के निदेशक डॉ. एके सिंह का कहना है कि भर्ती की प्रक्रिया काफी पुरानी हो चुकी थी। इसलिए रद्द करना पड़ा। काफी लोगों का अनुभव बदल गया होगा।
अब नए सिरे से ऑनलाइन विज्ञापन निकाला जाएगा। उसी आधार पर भर्ती होगी।
बेरोजागारों से जमा कराई गई रकम कब और कैसे वापस होगी? इस सवाल पर संस्थान के निदेशक ने कहा कि अभी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। संस्थान की गवर्निंग बॉडी में मामला रखा जाएगा।
संविदा पर डॉक्टरों की भर्ती की तैयारी
संस्थान प्रशासन ने कर्मचारी ही नहीं, डॉक्टरों को भी संविदा पर भर्ती करने का फैसला किया है।
32 पदों पर विज्ञापन जारी किया है। संविदा के आधार पर डॉक्टरों को भर्ती करने की प्रक्रिया का संस्थान के भीतर काफी विरोध चल रहा है। 20 मार्च तक आवेदन की आखिरी तारीख रखी गई है।
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