एक अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्तीय वर्ष 2021-2022 से केंद्र
सरकार न्यू वेज कोड को अमल में ला सकती है।
अगर ऐसा हुआ तो आपकी सैलरी स्ट्रक्चर समेत भविष्य निधि में योगदान, ग्रेच्युटी और टैक्स देनदारी में भी परिवर्तन होगा। न्यू वेज कोड 2019 के अनुसार अब श्रम की परिभाषा भी 73 सालों के लंबे अंतराल के बाद बदल जाएगी।
इसके मुताबिक वेज का अर्थ होगा कर्मचारियों के कुल वेतन का कम से कम 50 प्रतिशत।
यह नियम निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की सैलरी पर भी समान रूप में लागू होगा।
न्यू वेज कोड : टेक होम सैलरी हो जाएगी कम
इस नियम के लागू होने से भविष्य निधि और ग्रेच्युटी में कर्मचारी का योगदान बढ़ जाएगा।
जिसका परिणाम ये हो सकता है कि, कर्मचारियों की टेक होम सैलरी कम हो जाएगी।
लेकिन कर्मचारी के रिटायरमेंट बेनिफिट फंड में अधिक पैसा जमा होने से उनके सुखद व आर्थिक रूप से बेहतर भविष्य की संभावना जरूर बनती है।
न्यू वेज कोड : बदल जाएगी बेसिक सैलरी
सीटीसी में बेसिक सैलरी, एचआरए, पीएफ, ग्रेच्युटी और एनपीएस जैसे भाग होते हैं।
न्यू वेज कोड का प्रावधान यह कहता है कि, कर्मचारी की बेसिक सैलरी उसके सीटीसी के 50 फीसदी के बराबर या उससे अधिक होनी चाहिए।
न्यू वेज कोड : इस तरह समझें पूरा मामला
बता दें, सीटीसी में बेसिक सैलरी प्रायः 35 से 45 फीसदी ही रखी जाती है।
इसी बेसिक सैलरी का 12 प्रतिशत के बराबर का योगदान कर्मचारी के भविष्य निधि खाते में निवेश होता है। इस तरह यह निवेश की रकम बेसिक सैलरी 50 प्रतिशत होने से उसी अनुपात में बढ़ जाएगी।
नतीजतन टेक होम या इन हैंड सैलरी में कमी आ सकती है। वहीं नौकरी प्रदाता कंपनियों के खर्च पर भी असर होगा।
सेवा प्रदाता कंपनियां भी कर्मचारी के बराबर का योगदान उनके पीएफ खाते में करती हैं।
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