प्रयागराज; ब्लैक फंगस के मरीजों में तेजी से इजाफा हो रहा है। रोजाना एक या उससे अधिक मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं।
एसआरएन में अब तक दस मरीज भर्ती किए जा चुके हैं। सभी डायबिटीज से भी पीड़ित हैं।
अनियंत्रित डायबिटीज ब्लैक फंगस का प्रमुख कारण माना जा रहा है।
खासकर कोरोना से ठीक हो चुके लोगों के लिए यह नई मुसीबत है। डॉक्टरों ने सतर्कता बरतने को कहा है।
ब्लैक फंगस कोरोना संक्रमित व ठीक हो चुके लोगों को तेजी से शिकार बना रहा है। बीते पांच दिनों में सात मरीज एसआरएन में गंभीर हालत में भर्ती किए गए हैं।
ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज कर रहे डॉ. सचिन जैन के मुताबिक दस मरीज फंगस के भर्ती किए गए हैं।
सभी डायबिटीज से परेशान हैं। अनियंत्रित डायबिटीज फंगस का
सहायक साबित हो रहा है।
अमूमन सभी का शुगर लेवल 350 से 400 व उससे अधिक पाया गया है। एसआरएन में दस में से एक मरीज को दो दिन पहले लखनऊ रेफर कर दिया गया था।
स्टेरॉयड का बेलगाम इस्तेमाल
ब्लैक फंगस के मरीजों में डायबिटीज के अलावा स्टेरॉयड के बेलगाम इस्तेमाल की भी बात सामने आई है।
कोविड व उसके बाद स्टेरॉयड के इस्तेमाल से ब्लैक फंगस को पांव पसारने में मदद मिली। डॉ. जैन ने स्टेरॉयड के ज्यादा इस्तेमाल को घातक बताया है।
ठीक होने के बाद बरती लापरवाही
फंगस के मरीजों में लापरवाही भी प्रमुख कारण माना गया है। कोरोना से ठीक होने के बाद खुद की सेहत के प्रति लापरवाही के साथ फंगस के लक्षण दिखने के बाद भी इलाज में देरी भारी पड़ी है।
इलाज में देरी के कारण फंगस शरीर के अंदर तक फैल गया। इस वजह से मरीज गंभीर हालत में पहुंच गया।
एसआरएन में पांचवें मरीज की सर्जरी
ब्लैक फंगस के एक और मरीज की गुरुवार को एसआरएन में सर्जरी की गई। पुरुष मरीज की नाक व आसपास के अंग में फंगस होने के कारण डॉ. सचिन जैन के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने सर्जरी की।
बताया कि सर्जरी में देरी होने पर फंगस के दिमाग तक पहुंचने का डर था। एक माह बाद उसकी दोबारा जांच की जाएगी।
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