सर्वोच्च न्यायालय में अंतिम फैसला होने के बाद, विशेष शिक्षक
पद पर नियुक्त होने तक केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) पास करने की छूट देने पर केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने सरकार को आड़े हाथ लिया।
न्यायाधिकरण ने कहा कि यह समझ से परे है कि जब सर्वोच्च न्यायलय द्वारा कुछ सिद्धांत निर्धारित करके इस मसले पर विस्तृत निर्णय दे दिया था, तो दिल्ली सरकार/प्रशासन ने क्यों सीटीईटी में छूट देने का निर्णय लिया।
न्यायाधिकरण के अध्यक्ष जस्टिस एलएन रेड्डी की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि एक बार सर्वोच्च न्यायासय द्वारा कुछ सिद्धांत निर्धारित करके इस मुद्दे का निर्णय दिया गया तो यह समझ नहीं आता कि प्रशासन ने सीटीईटी योग्यता प्राप्त करने के समय में कैसे ढील दी।
पीठ ने कहा कि जैसे सरकार ने निर्णय लेकर छूट दी है, उसमें जिम्मेदारी की भावना का अभाव दिखता है।
हालांकि न्यायाधिकरण ने समानता के आधार पर लाल बहादुर, शंभू प्रसाद गुप्ता और चंदन शर्मा को राहत देने से इनकार करते हुए उनकी मांग को खारिज कर दिया।
समानता के आधार पर छूट का लाभ मिलना चाहिए
अधिवक्ता अनुज अग्रवाल के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार ने पिछले साल पारित आदेश में कहा है कि विशेष शिक्षक के पद पर नियुक्ति होने तक सीटीईटी पास करने की छूट दे दी है।
साथ ही कहा कि इसका लाभ कुछ प्रतिभागियों को दिया भी है। अधिवक्ता ने कहा कि उनके मुवक्किल को भी समानता के आधार पर सीटीईटी में छूट का लाभ मिलना चाहिए।
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