प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत लगभग 1.60
लाख शिक्षामित्रों और उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ा रहे 30 हजार अंशकालिक अनुदेशकों की ईपीएफ कटौती क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त के आदेश के सवा साल भी शुरू नहीं हो सकी है।
यदि यह कटौती हो रही होती तो कोरोना काल में असमय मौत के मुंह में समाने वाले शिक्षकों को ईपीएफओ की ओर से मिलने वाले 2.5 से 7 सात लाख रुपये तक का बीमा मिल जाता। जो लोग बीमार है, उनका इलाज हो सकता था।
कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में काम करने वाले संविदा शिक्षकों व कर्मचारियों की ईपीएफ कटौती का आदेश जारी कर दिया गया, जबकि वह भी 11 माह का मानदेय पाते हैं।
वर्तमान में प्रदेश के 75 में से 16 जिलों कानपुर नगर, महोबा, ललितपुर, ग्रेटर नोएडा, लखनऊ, बस्ती, देवरिया, कानपुर देहात, आजमगढ़, चंदौली, जौनपुर, वाराणसी, मुरादाबाद और फैजाबाद में धनराशि का निर्धारण भी किया जा चुका है लेकिन कटौती शुरू नहीं हो सकी है।
गौरतलब है कि क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने 28 फरवरी 2020 को एक अप्रैल 2015 से कटौती का आदेश दिया था।इनका कहना हैसरकार एक तरफ कोर्ट में कह रही है कि हम ईपीएफ दे रहे हैं लेकिन आज तक एक रुपये की कटौती नहीं हुई।
कटौती होती तो जो लोग मर गए उनके परिजनों को अनुकंपा राशि मिलती और जो बीमार हैं उनको इलाज का पैसा मिलता। लेकिन अधिकारियों ने एक भी न सुनी।त्रिभुवन सिंह, उपाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षामित्र संघ
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