उत्तर प्रदेश अध्यापक पात्रता परीक्षा (यूपी टीईटी) का प्रमाणपत्र
अब आजीवन मान्य होगा। इस संबंध में जल्द अधिसूचना जारी की जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होंने डीएलएड (बीटीसी) की प्रवेश परीक्षा पुराने पैटर्न पर कराने के निर्देश भी दिए।
इस निर्देश से प्रदेश में टीईटी पास आठ से 10 लाख युवाओं को लाभ मिलेगा।
केन्द्र सरकार ने बीते दिनों टीईटी का प्रमाणपत्र आजीवन मान्य करने के निर्देश दिए हैं। अभी तक यह सात वर्ष के लिए मान्य था जबकि यूपी में इसकी मान्यता पांच वर्ष के लिए ही थी।
पांच वर्षों की मान्यता के चक्कर में अक्सर युवा तीन वर्ष बाद से ही टीईटी देने लगते थे कि यदि बीच में किसी कारणवश इसकी परीक्षा न हो तो उनकी पात्रता बरकरार रहे।
अब प्रमाणपत्र आजीवन मान्य होने से न सिर्फ युवाओं को बल्कि विभाग को भी लाभ होगा और उसे कम युवाओं के लिए परीक्षा का इंतजाम कराना पड़ेगा। हर वर्ष लगभग पांच से सात लाख युवा टीईटी देते हैं।
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने डीएलएड पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए लिखित परीक्षा के नए पैटर्न को स्थगित करते हुए पहले से प्रचलित व्यवस्था के आधार पर ही कोर्स शुरू करने के निर्देश दिए।
डीएलएड में लगभग दो लाख सीटे हैं और पिछले वर्ष इसमें प्रवेश नहीं लिए गए थे। कोरोना संक्रमण के कारण इस वर्ष भी लिखित परीक्षा नहीं होगी। मेरिट के आधार पर ही प्रवेश लिए जाएंगे।
छह कॉलेजों ने कोर्स को बंद करने की अनुमति मांगी
डीएलएड में पिछले वर्ष प्रवेश नहीं लिए गए। प्रदेश के छह कॉलेजों ने कोर्स को बंद करने की अनुमति सरकार से मांगी है क्योंकि वे इसके खर्चे नहीं निकाल पा रहे हैं।
डीएलएड कॉलेजों की एसोसिएशन का कहना है कि पिछले वर्ष से उनके कॉलेज बंद चल रहे हैं। उन्हें शिक्षकों को वेतन व प्रबंधन के लिए खर्च करना पड़ रहा है।
प्रबंधन दो वर्षों का सत्र एक साथ शुरू करने की मांग कर रहे हैं यानी किसी कॉलेज में डीएलएड की 50 सीटे हैं तो उन्हें 100 विद्यार्थी आवंटित किए जाएं।
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