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अब पीएम पोषण के नाम से चलेगी मध्यान्ह भोजन योजना, सरकार ने दी मंजूरी, अगले पांच साल में योजना पर 1.30 लाख करोड़ होंगे खर्च

केंद्र सरकार ने बुधवार को बच्चों को पर्याप्त पोषण मुहैया कराने को लेकर एक बड़ा फैसला लिया।


 इसके तहत स्कूली बच्चों से जुड़ी करीब 26 साल पुरानी मिड-डे मील स्कीम के नाम को बदल दिया गया है। 

स्कूली बच्चों को पर्याप्त पोषण मुहैया कराने में जुटी केंद्र सरकार ने बुधवार को एक बड़ा फैसला लिया। इसके तहत स्कूली बच्चों से जुड़ी करीब 26 साल पुरानी मिड-डे मील स्कीम के नाम को बदल दिया गया है। इसका नाम अब पीएम पोषण ( प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण) करने का एलान किया गया है। 

यानी सरकार भोजन देने के साथ ही बच्चों को सेहतमंद भी बनाएगी। पूरी स्कीम में कई अहम बदलावों को भी मंजूरी दी गई है। अगले पांच साल में स्कीम पर करीब 1.30 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

बड़ी संख्‍या में लाभान्वित होंगे नौनिहाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) की बैठक में मिड-डे मील स्कीम में बदलाव को यह मंजूरी दी गई।

 इस पूरी योजना का लाभ देशभर के करीब 12 करोड़ स्कूली बच्चों और करीब 11 लाख स्कूलों को मिलेगा। पीएम पोषण के नाम से यह स्कीम इसी वित्तीय वर्ष से लागू होगी।

सरकार की लोकप्रिय स्कीमों में शामिल

स्कूली बच्चों को मध्यान्ह भोजन मुहैया कराने के लिए मिड-डे मील स्कीम की यह शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी।

 तब से यह स्कीम लगातार संचालित है और सरकार की लोकप्रिय स्कीमों में शुमार है।

 इस पूरे बदलाव के पीछे जो अहम वजह बताई जा रही है, उनमें स्कीम के मौजूदा नाम और स्वरूप में फोकस सिर्फ भोजन पर था, जबकि सरकार का फोकस स्कूली बच्चों को अब पोषण युक्त भोजन उपलब्ध कराने पर है जो नई स्कीम से स्पष्ट हो रहा है।

पारदर्शिता पर जोर

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने बुधवार को सीसीईए की मंजूरी के बाद योजना में किए गए बदलावों को साझा किया और कहा कि इसमें पारदर्शिता पर जोर दिया गया है।

 स्कूलों को कु¨कग कास्ट आदि का पैसा अब सीधे डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिये भेजा जाएगा। साथ ही पोषण युक्त भोजन देने में प्रत्येक जिले को यह छूट भी दी जाएगी कि वह स्थानीय स्तर पर उपयुक्त पोषण युक्त खाद्यान्न या फिर मोटे आनाज को स्कूली बच्चों के खाने में शामिल कर सके।


प्री-प्रीप्रीरी के एपिसोड्स भी शामिल हैं
 वाइरल, ब्रीफिंग के मौसम में अब प्री-प्रीरी के क्लास भी।  यानी उन्हें भी स्कूलों में अब पोषण युक्त भोजन मिलेगा।  नई अगली बार आने वाला उत्पाद तैयार हो गया है।  वैटिका के लिए  एक प्रश्न के उत्तर में प्रधान ने कहा कि दो से तीन साल में सभी वैटिका खोलेंगे।

 तय तिथि का निर्धारण
 उत्पादकता में वृद्धि करने के लिए सदस्यों ने वृद्धि की है।  मोबाइल खराब होने के कारण खराब होने या खराब होने के कारण खराब होने के कारण खराब होने के कारण वे ओसा-अक्सर स्कूल में एक बार खराब होते हैं।  साथ ही साथ में अपना समय भी खाएं।

 प्रजनन की स्थिति पर भी
 यह  इसके साथ।  जो सम्मिलित हैं, वे शामिल हो सकते हैं।  नई स्कीम में स्कूलों में शुरू हुई पोषण बगीचे (न्यूट्रिशन गार्डन) की मुहिम को रफ्तार देने पर भी जोर दिया गया है, जिसमें ताजी सब्जियां आदि उगाई जाती हैं।

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