सूत्री मांगों को लेकर
मंगलवार को प्रदेश भर के कर्मचारियों व शिक्षकों ने महारैली कर विरोध जताया। कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच के आह्वान पर बड़ी संख्या में कर्मचारी व शिक्षकों की भीड़ राजधानी में स्थित ईको गार्डन में जुटी।
कर्मचारियों व शिक्षकों ने सरकार को दो टूक चेतावनी दी कि अगर चुनाव आचार संहिता लगने से पहले दिसंबर तक उनकी मांगें सरकार ने पूरी नहीं की तो विधान सभा चुनाव में वह भाजपा और उसके सहयोगी दलों का विरोध करेंगे।
ईको गार्डन में सुबह आठ बजे से ही प्रदेश भर से कर्मचारी व शिक्षकों की भीड़ जुटने लगी थी। महारैली की अध्यक्षता मंच के अध्यक्ष डा. दिनेश चंद्र शर्मा ने की।
उन्होंने आरोप लगाया कि कर्मचारियों के महंगाई भत्ते का 10 हजार करोड़ का भुगतान सरकार ने रोक रखा है। करीब 12 से अधिक भत्ते समाप्त कर दिए गए। पुरानी पेंशन बहाल नहीं की जा रही। प्रधानाध्यापकों के लाखों पद सरकार ने समाप्त कर दिए। शिक्षकों की पदोन्नति नहीं की गई। शिक्षामित्र व अनुदेशक भुखमरी के कगार पर हैं।
विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता सुरेश त्रिपाठी और विधान परिषद सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कर्मचारियों व शिक्षकों की अनदेखी करना ठीक नहीं है। आगे विधान सभा चुनाव में यह अपनी ताकत दिखाएंगे।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी ने कहा कि कैशलेस इलाज की सुविधा नहीं दी जा रही। संविदा कर्मियों से बंधुआ मजदूरों की तरह काम लिया जा रहा है। उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष हेम सिंह पुंडीर ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा विभाग में संविदा पर कार्यरत शिक्षकों को नियमित नहीं किया जा रहा।
यूपी मेडिकल एंड हेल्थ मिनिस्टीरियल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कुमार सिंह ने कहा कि सरकार कर्मचारियों व शिक्षकों की अनदेखी कर रही है, उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। महारैली को परिवहन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजय सिंह, डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ के पूर्व अध्यक्ष विष्णु त्रिपाठी आदि ने संबोधित किया।
भीड़ के कारण जाम से जूङो लोग : महारैली में जुटी बड़ी संख्या में भीड़ के कारण आलमबाग से लेकर तेलीबाग चौराहे और उसके आसपास दिन भर लोग जाम से जूझते रहे। शाम साढ़े चार बजे जब महारैली खत्म हुई तो आसपास के क्षेत्र में भीषण जाम लग गया। घंटों लोगों को जाम से जूझना पड़ा।
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