इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने टीईटी 2021 के प्रमाण पत्र जारी करने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने राज्य
सरकार से जानकारी मांगी है कि क्या एनसीटीई ने प्राथमिक विद्यालय में सहायक शिक्षक के रूप में बीएड उम्मीदवारों की नियुक्ति के संबंध में कोई नई अधिसूचना जारी की है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने टीईटी 2021 के प्रमाण पत्र जारी करने पर रोक लगा दी है।
इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार से जानकारी मांगी है कि क्या एनसीटीई ने प्राथमिक विद्यालय में सहायक शिक्षक के रूप में बीएड उम्मीदवारों की नियुक्ति के संबंध में कोई नई अधिसूचना जारी की है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने यह आदेश प्रतीक मिश्रा और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE)
एनसीटीई की स्थापना 1973 में भारत सरकार द्वारा की गई थी। इस परिषद का मुख्य उद्देश्य शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन करना और शिक्षक शिक्षा से संबंधित क्षेत्रों में सरकार को सलाह देना था। 1993 में, इस परिषद को संवैधानिक दर्जा दिया गया था।
बीएड डिग्री धारक पहले प्राथमिक विद्यालयों में सहायक शिक्षक नियुक्त होने के पात्र नहीं थे। एनसीटीई द्वारा 28 जून 2018 को जारी अधिसूचना में बीएड उम्मीदवारों को प्राथमिक विद्यालयों में सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति के योग्य माना गया था. लेकिन इसके बाद इस अधिसूचना को राजस्थान उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई।
जिस पर राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए अधिसूचना को अवैध बताते हुए खारिज कर दिया। राजस्थान उच्च न्यायालय ने कहा कि बीएड डिग्री धारक प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा एक से पांच तक सहायक शिक्षक नियुक्त होने के पात्र नहीं हैं।
यूपी सरकार ने राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश पर नहीं किया विचार
यूपी सरकार ने टीईटी का रिजल्ट जारी करने से पहले राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर विचार नहीं किया. अधिसूचना रद्द होने के बाद एनसीटीई द्वारा कोई नई अधिसूचना जारी की गई है या नहीं? कोर्ट ने इस विषय पर जानकारी मांगते हुए मामले की सुनवाई के लिए 16 मई की तारीख तय की है। यह भी कहा गया है कि अगली सुनवाई तक कोई प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा।
बीएड डिग्रीधारकों ने भी दी है परीक्षा
हजारों बीएड डिग्री धारकों ने एनसीटीई अधिसूचना के आधार पर टीईटी 2021 परीक्षा दी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब उनका भविष्य भी अधर में लटकता नजर आ रहा है।
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