69000 शिक्षक भर्ती : शिक्षामित्रों के लिए 65% अंक का कट आफ बहुत अधिक, आज भी होगी सुनवाई - updatesbit

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69000 शिक्षक भर्ती : शिक्षामित्रों के लिए 65% अंक का कट आफ बहुत अधिक, आज भी होगी सुनवाई

 उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में शिक्षामित्रों की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि परीक्षा में योग्यता मानदंड में 65 फीसद अंकों का कटआफ बहुत अधिक है।
 इससे शिक्षामित्र को 25 अंकों वेटेज लाभ नहीं मिल पायेगा। कोर्ट भर्ती में बीएड को भी शामिल किये जाने के विरोध में बीटीसी अभ्यथिर्यों की दलीलों से सहमत नहीं दिखा।

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 कोर्ट ने कहा कि वह बीएड अभ्यथिर्यों को भर्ती में शामिल किये जाने के मुद्दे पर विचार नहीं करेगा। बीएड के मुद्दे पर सही समय पर चुनौती क्यों नहीं दी गई।
 मामले पर बहस गुरुवार को भी जारी रहेगी। शिक्षामित्रों ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर भर्ती परीक्षा में न्यूनतम योग्यता अंक सामान्य वर्ग के लिए 65 फीसद और आरक्षित वर्ग के लिए 60 फीसद रखे जाने को चुनौती दी है।
 हाइ कोर्ट ने न्यूनतम अंक तय करने को सही ठहराया था और प्रदेश सरकार को भर्ती की इजाजत दे दी थी।

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 सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में दिए अंतरिम आदेश में प्रदेश सरकार को 37339 पद शिक्षामित्रों के लिए खाली रखने को कहा था और बाकी के पदों पर भर्ती जारी रखने की इजाजत दी थी।
बुधवार को न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ में शिक्षामित्रों और बीटीसी अभ्यथिर्यों के वकील पीएस पटवालिया ने कहा कि शिक्षामित्र पिछले 15 वर्षो से नौकरी कर रहे हैं। उनकी नौकरी नियमित करने का आदेश कोर्ट ने निरस्त कर दिया था।
 पटवालिया ने कहा कि नियम कहता है कि बेसिक टीचर सार्टिफिकेट (बीटीसी) होने पर सहायक शिक्षक नियुक्त हो सकते हैं।
 बीएड को ट्रेनी टीचर नियुक्त किया जाता है। अगर बीएड को योग्यता मानदंड में शामिल करना है तो उसके लिए एनसीटीई से इजाजत लेनी होती है।इन दलीलों पर पीठ ने कहा कि अब इस बहस का कोई मतलब नहीं है क्योंकि एनसीटीई ने बीएड को शामिल करने की अधिसूचना जारी कर दी है।

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अब सिर्फ दो ही विकल्प हैं या तो आप एनसीटीई की अधिसूचना को चुनौती दें या फिर एनसीटीई अधिसूचना के आधार पर सरकार के द्वारा नियमों में बदलाव में देरी करने की बात कहें। पटवालिया ने बताया कि इस संबंध में पहले हाई कोर्ट में एक रिट दाखिल हुई वह वापस ले ली गई इसके बाद दूसरी रिट भी दाखिल करके वापस ले ली गई फिर तीसरी रिट दाखिल हुई जिस पर अभी हाई कोर्ट ने नोटिस नहीं किया है।
इस पर पीठ ने कहा कि उन्हेंं यहां बहस के बजाए हाई कोर्ट से नोटिस जारी होने का इंतजार करना चाहिए था।कोर्ट ने पूछा कि 1.35 लाख से अधिक शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर नियमित किये जाने का आदेश कोर्ट ने रद किया था। उस समय सहायक शिक्षक की 68000 रिक्तियां थीं।
अभी सरकार 69000 भर्तियां कर रही है। दोनों को मिला दिया जाए तो लगभग उतनी ही भतिर्यां हैं तो क्या पिछले चार वर्ष में कोई नई भर्ती नहीं आई।
बता दें कि शीर्ष कोर्ट के फैसले पर हजारों की निगाहें लगी हैं। पिछले दिनों हुई सुनवाई में कोर्ट ने किसी मामले में अभ्यर्थियों को राहत नहीं दी है, बल्कि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी जरूर की थी कि वह अगली तारीख पर सुनवाई करके फैसला देगा।
अभ्यर्थी यह भी आस लगाए हैं कि सुप्रीम कोर्ट से फैसला भी जल्द आएगा।

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 प्रदेश में जिला आवंटन पा चुके अभ्यर्थी एक माह से नियुक्ति पाने का इंतजार कर रहे हैं।उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती विवादों के घेरे में है। यह भर्ती कटऑफ अंक को लेकर हाई कोर्ट में लंबे समय तक फंसी रही, फिर प्रश्नों के जवाब को लेकर ऐन वक्त पर काउंसिलिंग रोकी गई। शिक्षामित्रों के चयन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 37339 पद भरने पर रोक लगा रखी है।
हर बार कोर्ट ने भर्ती के अहम मोड़ पर स्थगनादेश जारी कर दिया। हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने तीन जून को लिखित परीक्षा में पूछे गए 142 प्रश्नों का यूजीसी के विशेषज्ञों से परीक्षण कराने का आदेश दिया था। उस पर 12 जून को दो जजों की पीठ ने रोक लगाकर प्रश्नों के विवाद का अंत कर दिया है।
 लेकिन, नौ जून को शीर्ष कोर्ट के आदेश की वजह से यह भर्ती अधर में है।सुप्रीम कोर्ट में अभ्यर्थियों ने दो जजों की पीठ के आदेश को चुनौती देने के लिए कई याचिकाएं की। पिछले दिनों हुई सुनवाई में कोर्ट ने किसी मामले में अभ्यर्थियों को राहत नहीं दी है, बल्कि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी जरूर की थी कि वह अगली तारीख पर सुनवाई करके फैसला देगा।

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 प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट का 12 जून का आदेश आने के बाद शीर्ष कोर्ट में मॉडिफिकेशन याचिका दाखिल करके सुनवाई का अनुरोध किया है।
 सरकार का कहना था कि नौ जून का आदेश उसे बिना सुने किया गया है।ज्ञात हो कि प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट का 12 जून का आदेश आने के बाद शीर्ष कोर्ट में मॉडिफिकेशन याचिका दाखिल करके सुनवाई का अनुरोध किया था, सरकार का कहना था कि नौ जून का आदेश उसे बिना सुने किया गया है। 

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