इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एलटी ग्रेड में चयनित अध्यापक को विद्यालय
आवंटित करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो राज्य सरकार व माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड इसका कारण स्पष्ट करते हुए जवाब दाखिल करें।
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यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने मनोज कुमार की याचिका पर अधिवक्ता सीमांत सिंह को सुनकर दिया है।
याची अनुसूचित जाति वर्ग का अभ्यर्थी है। उसने 1017 की अध्यापक भर्ती में हिंदी विषय से आवेदन किया था।
चयनित होने पर चयन बोर्ड ने उसे बुलंदशहर में प्रेम इंटर कॉलेज में नियुक्ति दी और वहां के जिला विद्यालय निरीक्षक को निर्देश दिया कि याची को ज्चाइन कराया जाए।
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लेकिन कॉलेज प्रबंधन यह कहते हुए नियुक्ति देने से इनकार कर दिया कि उनके यहां अनुसूचित जाति का कोई पद रिक्त नहीं है। इसके बाद याची को श्रावस्ती के एक इंटर कॉलेज में नियुक्ति दी गई।
वहां भी पद रिक्त न होने की बात कह कर नियुक्ति देने से इनकार कर दिया गया।
याची ने इसकी जानकारी चयन बोर्ड और डीआईओएस को दी और कुछ न होने पर यह याचिका दाखिल की।
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अधिवक्ता सीमांत सिंह के अनुसार याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि चयनित अभ्यर्थी को नियुक्ति पाने का पूरा अधिकार है। ऐसे में उसे नियुक्ति देने से इनकार नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने चयन बोर्ड को निर्देश दिया है कि याची को प्रदेश के किसी भी इंटरमीडिएट कॉलेज में नियुक्ति दी जाए और यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो इसका कारण स्पष्ट किया जाए।
आवंटित करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो राज्य सरकार व माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड इसका कारण स्पष्ट करते हुए जवाब दाखिल करें।
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यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने मनोज कुमार की याचिका पर अधिवक्ता सीमांत सिंह को सुनकर दिया है।
याची अनुसूचित जाति वर्ग का अभ्यर्थी है। उसने 1017 की अध्यापक भर्ती में हिंदी विषय से आवेदन किया था।
चयनित होने पर चयन बोर्ड ने उसे बुलंदशहर में प्रेम इंटर कॉलेज में नियुक्ति दी और वहां के जिला विद्यालय निरीक्षक को निर्देश दिया कि याची को ज्चाइन कराया जाए।
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लेकिन कॉलेज प्रबंधन यह कहते हुए नियुक्ति देने से इनकार कर दिया कि उनके यहां अनुसूचित जाति का कोई पद रिक्त नहीं है। इसके बाद याची को श्रावस्ती के एक इंटर कॉलेज में नियुक्ति दी गई।
वहां भी पद रिक्त न होने की बात कह कर नियुक्ति देने से इनकार कर दिया गया।
याची ने इसकी जानकारी चयन बोर्ड और डीआईओएस को दी और कुछ न होने पर यह याचिका दाखिल की।
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अधिवक्ता सीमांत सिंह के अनुसार याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि चयनित अभ्यर्थी को नियुक्ति पाने का पूरा अधिकार है। ऐसे में उसे नियुक्ति देने से इनकार नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने चयन बोर्ड को निर्देश दिया है कि याची को प्रदेश के किसी भी इंटरमीडिएट कॉलेज में नियुक्ति दी जाए और यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो इसका कारण स्पष्ट किया जाए।
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