दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) ने उच्च
न्यायालय को बताया है कि उपराज्यपाल ने नगर निगम के स्कूलों में विशेष शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अधिकतम उम्रसीमा मे छूट दे दी है।
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डीएसएसएसबी ने न्यायालय को बताया है कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के आग्रह पर उपराज्यपाल ने सिर्फ एक बार के लिए अधिकतम उम्रसीमा में 10 साल की छूट दी है। यह छूट केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर चुके अभियर्थियों को ही मिलेगी।
जस्टिस संजीव सचदेवा ने इसके बाद डीएसएसएसबी को एक सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा है। साथ ही दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के वकील से भी विशेष शिक्षकों की नियुक्ति के बारे में दिशा-निर्देश लेकर बताने को कहा है।
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मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी। इससे पहले डीएसएसएसबी की ओर से अधिवक्ता अवनीश अहलावत ने न्यायालय को बताया कि उसने परीक्षा परिणाम तैयार करके डोजियर एसडीएमसी को भेज दिया है।
साथ ही कहा कि नगर निगम को उम्रसीमा में 10 साल की छूट के हिसाब से चयनित उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने की छूट दे दी है।
इससे पहले, याचिकाकर्ता संगठन सोशल ज्यूरिस्ट की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने न्यायालय को बताया कि 10 साल पहले शिक्षा निदेशालय और नगर निगम को अपने स्कूलों में मूक बधिर और दृष्टिहीन बच्चों को समुचित शिक्षा देने के लिए विशेष शिक्षकों की नियुक्ति का आदेश दिया था।
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अग्रवाल ने कहा कि एक दशक बीत जाने के बाद भी सरकार और नगर निगमों ने विशेष शिक्षकों की नियुक्ति के लिए सृजित पद को नहीं भर पाया है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से हजारों मूक, बधिर व दृष्टिहीन बच्चों को समुचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है।
न्यायालय को बताया है कि उपराज्यपाल ने नगर निगम के स्कूलों में विशेष शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अधिकतम उम्रसीमा मे छूट दे दी है।
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डीएसएसएसबी ने न्यायालय को बताया है कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के आग्रह पर उपराज्यपाल ने सिर्फ एक बार के लिए अधिकतम उम्रसीमा में 10 साल की छूट दी है। यह छूट केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर चुके अभियर्थियों को ही मिलेगी।
जस्टिस संजीव सचदेवा ने इसके बाद डीएसएसएसबी को एक सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा है। साथ ही दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के वकील से भी विशेष शिक्षकों की नियुक्ति के बारे में दिशा-निर्देश लेकर बताने को कहा है।
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मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी। इससे पहले डीएसएसएसबी की ओर से अधिवक्ता अवनीश अहलावत ने न्यायालय को बताया कि उसने परीक्षा परिणाम तैयार करके डोजियर एसडीएमसी को भेज दिया है।
साथ ही कहा कि नगर निगम को उम्रसीमा में 10 साल की छूट के हिसाब से चयनित उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने की छूट दे दी है।
इससे पहले, याचिकाकर्ता संगठन सोशल ज्यूरिस्ट की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने न्यायालय को बताया कि 10 साल पहले शिक्षा निदेशालय और नगर निगम को अपने स्कूलों में मूक बधिर और दृष्टिहीन बच्चों को समुचित शिक्षा देने के लिए विशेष शिक्षकों की नियुक्ति का आदेश दिया था।
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अग्रवाल ने कहा कि एक दशक बीत जाने के बाद भी सरकार और नगर निगमों ने विशेष शिक्षकों की नियुक्ति के लिए सृजित पद को नहीं भर पाया है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से हजारों मूक, बधिर व दृष्टिहीन बच्चों को समुचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है।
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