संस्कृत के कोर्स में आधुनिक विषय तो शामिल कर लिए गए लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए शिक्षकों की व्यवस्था नहीं हो पाई है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने पिछले साल 2019-20 सत्र से कक्षा छह से 12 तक नया सिलेबस लागू किया था।
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संस्कृत पाठ्यक्रम को रोजगारपरक बनाने के उद्देश्य से आधुनिक विषयों का समावेश किया गया है।
इसके तहत भौतिक, रसायन, जीव विज्ञान, वाणिज्य, कम्प्यूटर विज्ञान, गणित, चित्रकला व गृह विज्ञान आदि विषय यूपी बोर्ड की तरह संयोजित किए गए हैं।
वर्ष 2000 में परिषद का गठन होने के बाद से अब तक संस्कृत बोर्ड का अपना सिलेबस नहीं था। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के सिलेबस के आधार पर यहां पढ़ाई हो रही थी।
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तकरीबन दो साल की मेहनत के बाद नया सिलेबस तैयार हुआ और पिछले साल पूर्व मध्यमा (9वीं) और उत्तर मध्यमा प्रथम (11वीं) के लिए इसे अनिवार्य किया गया था। इस साल से मध्यमा व उत्तर मध्यमा में इसे लागू कर दिया गया है।
9वीं व 10वीं में 70 नंबर की थ्योरी और 30 अंक प्रैक्टिक्ल के लिए तय किए गए हैं।
लेकिन संस्कृत विद्यालयों में व्याकरण, वेद-वेदांत, मीमांसा, ज्योतिष और साहित्य जैसे परंपरागत विषय पढ़ाने के लिए ही अध्यापक नहीं हैं तो आधुनिक विषय के अध्यापकों की बात कौन पूछे।
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मजे की बात है कि बिना शिक्षकों के आधुनिक विषयों की पढ़ाई एक साल हो गई और इन स्कूलों में पढ़ने वाले तकरबीन 92 हजार बच्चे अगली कक्षा में प्रोन्नत भी हो गए।
इनका कहना है
संस्कृत विद्यालयों में जब तक आचार्यों की नियमित नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक कम से कम दो परंपरागत और दो आधुनिक विषयों के शिक्षकों को मानदेय/संविदा पर रखने का अनुरोध सरकार से किया गया है। ताकि पठन-पाठन में बाधा न आए। उम्मीद है कि जल्द व्यवस्था हो जाएगी।
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