Teacher Recruitment: मूक, बधिर और दृष्टिहीन छात्रों को
समुचित शिक्षा देने के लिए विशेष शिक्षिकों की नियुक्ति में ढुलमुल रवैये अपनाने पर उच्च न्यायालय ने सोमवार को दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को कड़ी फटकार लगाई।
न्यायालय ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम से यह बताने के लिए कहा है कि तीनों नगर निगमों के स्कूल में रिक्त पड़े विशेष शिक्षकों के 1132 पदों को भरने के लिए दिल्ली राज्य अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) को आग्रह पत्र क्यों नहीं भेजा।
जस्टिस नज्मी वजीरी ने नियुक्ति के लिए आग्रह पत्र नहीं भेजे जाने पर दक्षिणी दिल्ली निगम पर 25 हजार रुपये का जुर्मना भी लगाया। उन्होंने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि नगर निगमों के लिए मूक, बधिक और दृष्टिहीन छात्रों के हकों की कोई परवाह नहीं है।
न्यायालय ने कहा कि दस साल बीत जाने के बाद भी आपने विशेष शिक्षकों के रिक्त पदों को भर नहीं पाए। इससे पता चलता है कि आप इन विशेष बच्चों को समुचित शिक्षा देने के प्रति कितने गंभीर हैं।
उच्च न्यायालय ने 18 दिसंबर को तीनों नगर निगमों के स्कूलों में रिक्त विशेष शिक्षकों के 1132 पदों को भरने के लिए एसडीएमसी से डीएसएसएसबी को आग्रह पत्र भेजने का निर्देश दिया था।
उन्होंने गैर सरकारी संगठन सोशल ज्यूरिस्ट की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल द्वारा दाखिल याचिका पर दिया था। अग्रवाल ने न्यायालय को बताया कि सालों से यह याचिका लंबित है। लेकिन उच्च न्यायालय के कई आदेशों के बाद भी दिल्ली सरकार और नगर निगमें ने मूक बधिर और दृष्टिहीन छात्रों को समुचित शिक्षा मुहैया कराने के लिए विशेष शिक्षकों की नियुक्ति नहीं कर रही है।
अग्रवाल ने नगर निगम पर जानबूझजकर विशेष शिक्षकों की भर्ती में देरी करने करने का आरोप लगाया है।
उन्होंने न्यायालय में कहा कि शिक्षा की कीमत पर नगर निगम पैसे बचा रही है। अब मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी को होगी।
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