उत्तर प्रदेश में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में दी जाने वाली निःशुल्क
पाठ्य पुस्तकों को छापने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया है।
सरकार 1.80 करोड़ बच्चों को निशुल्क किताबें देती है। अप्रैल से नया सत्र शुरू होना है।
1.80 करोड़ बच्चों के लिए लगभग 10 करोड़ पाठ्य पुस्तकें, वर्कबुक और अभ्यास पुस्तिकाएं छापी जाती हैं और इसे छापने के लिए 20 से 25 प्रकाशकों को काम दिया जाता है और इसे छापने में तीन महीने का समय लगता है।
हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते इस काम में भी देरी हुई और अब किताबें छपने जाएंगी। सामान्य तौर पर इसके लिए दिसम्बर में टेण्डर निकाला जाता है।
इस बार सरकार कक्षा एक में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू कर रही है। लिहाजा इस बार स्कूलों में कक्षा एक की किताबें पहले पहुंचने की उम्मीद है।
अमूमन सरकार देर से किताबें स्कूलों में पहुंचने की वजह से पिछली कक्षाओं के बच्चों से पुरानी किताबें लेकर पढ़ाई शुरू करवा देती है। अभी तक जूते-मोजे, स्कूल बैग की खरीद प्रक्रिया नहीं शुरू हुई है।
इस बार सरकार इसके लिए अभिभावकों के खाते में पैसा देने पर विचार कर रही है।
यदि ऐसा होता है तो इस पर लगने वाला समय बचेगा और अभिभावकों को स्वयं ये सामान खरीदने पड़ेंगे।
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