सरकारी हीलाहवाली के कारण डीएलएड पाठ्यक्रम में प्रवेश अभी
तक शुरू नहीं हो पाए हैं।
परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने इसके लिए दिसम्बर 2020 में ही प्रस्ताव भेज दिया था और इसके लिए मार्च से प्रवेश लिए जाने की योजना थी। लेकिन अभी तक शासन ने इसे मंजूर नहीं किया था।
बीते वर्ष भी डीएलएड में प्रवेश नहीं लिए गए थे। इसके चलते न सिर्फ निजी संस्थान बल्कि युवा भी परेशान हैं।
बीते कई वर्षों में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षक के लिए होने वाली भर्तियों के कारण डीएलएड का क्रेज है।
लिहाजा युवा इसमें प्रवेश के लिए इंतजार करते हैं। पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण स्नातक की परीक्षाएं और रिजल्ट में देरी होने के कारण इसमें प्रवेश लेने पर एक राय नहीं बन सकी।
लिहाजा 2020-21 का सत्र अनाधिकारिक रूप से शून्य हो गया। लेकिन इस वर्ष भी प्रवेश प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक नए सत्र का प्रशिक्षण जुलाई में शुरू हो जाना चाहिए।
यूपी में स्नातक पास अभ्यर्थी ही डीएलएड के लिए पात्र होते हैं। यूपी में सरकारी और निजी कॉलेजों में डीएलएड की 2,26,200 सीटें हैं।
प्रवेश न हो पाने से इन पाठ्यक्रमों को चलाने वाले कॉलेज के प्रबंधन भी परेशान हैं और युवा भी क्योंकि परिषद में 51 हजार शिक्षकों के पद रिक्त हैं।
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