उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड ने हर साल होने वाली टीईटी प्रथम और
द्वितीय की परीक्षाओं के प्रमाण पत्रों की वैधता को आजीवन कर दिया है।
द्वितीय की परीक्षाओं के प्रमाण पत्रों की वैधता को आजीवन कर दिया है।
प्रदेश में टीईटी प्रथम और द्वितीय उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की वैधता सात वर्षों तक ही रहती थी। इसके बाद नौकरी नहीं मिलने पर अभ्यर्थियों को दोबारा से परीक्षा पास करनी पड़ती थी।
उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद की सचिव डॉ. नीता तिवारी ने शुक्रवार को आदेश जारी कर टीईटी प्रथम-द्वितीय के सात सालों के प्रमाण पत्रों की वैधता खत्म कर दी।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में 2011 से टीईटी प्रथम और द्वितीय की परीक्षाएं करायी जा रही हैं।
हालांकि हर साल होने वाली परीक्षाएं इस बार भी कराने पर मंथन चल रहा है।
डॉ.तिवारी ने बताया कि सरकार ने टीईटी प्रथम और द्वितीय उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों को आजीवन वैध रहने को कहा है। इसके चलते शुक्रवार ही आदेश जारी किए गए हैं।
टीईटी प्रथम और द्वितीय में हर साल एक लाख के करीब अभ्यर्थी परीक्षा में बैठते आए हैं।
प्रथम परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी प्राइमरी शिक्षक के लिए पात्र होते हैं, जबकि द्वितीय परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी माध्यमिक शिक्षक के लिए पात्र होते हैं।
डॉ.तिवारी ने बताया कि सात साल की वैधता का बैरियर हट जाने से अब टीईटी उत्तीर्ण कर चुके सभी अभ्यर्थियों को इसका लाभ मिलेगा।
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