कभी ऑनलाइन प्रशिक्षण, कभी ऑनलाइन फीडिंग और अब
फिर नई जिम्मेदारी से शिक्षक समुदाय खुद को ठगाऔर प्रताड़ित महसूस कर रहा है।
पहले बैंक बेनिफिशरी भी brc स्तर पर टाइप होनी थी लेकिन जब brc फेल हो गई तो पैसे देकर बाह्य एजेंसी से लिस्ट बनवाई थी और जब एजेंसी भी फेल हो गयी तो प्रधानाध्यापकों को फ्री का टट्टू समझकर उनसे ये काम कराया जाने लगा, खण्ड शिक्षा अधिकारियों ने भी इसमें अपने प्रभाव का बखूबी इस्तेमाल किया।
अब बार - बार बदल - बदल कर वही डाटा फीड कराया जा रहा है और उसे टेक्निकली संशोधित भी कराया जा रहा है, हद तो तब हो गयी जब साधन विहीन टेक्निकली अनट्रेण्ड अध्यापक को इसमें होने वाली किसी भी त्रुटि के लिए दंड का भागी भी बना दिया गया।
टाइपिंग स्किल और कंप्यूटर न होने के कारण अपनी ऐप्लिकेशन टाइप कराने के लिए भी टाइप सेंटर के टाइपिस्ट पर निर्भर रहने वाले अध्यापक को ये कैसी सजा मिल रही है? गत दो माह से ग्रीष्मावकाश, रविवार अवकाश, दिन और रात इसी समस्या से जूझ रहे हैं ऊपर से तानाशाही अधिकारियो ने एक्यूरेसी के साथ समय सीमा भी तय करनी शुरू कर दी है।
विभाग ने इस इन कार्यों के लिए टाइपिंग प्रशिक्षण दिया ना कंप्यूटर दिया तो ये काम कैसे हो?
इस सब के लिए अतिउत्साही शिक्षक भी कम ज़िम्मेदार नहीं है। शीघ्र ही इसके निदान हेतु संग़ठन स्तर से प्रयास आवश्यक है।
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