वर्ष 2021 में नई शिक्षा नीति के नियम पूरी तरह से अब लागू नहीं
होंगे। कोविड अब नई शिक्षा नीति को लागू करने के बीच में भी बाधा बन गया है।
पहली से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों की डेढ़ साल से रेगुलर कक्षाएं न लगने की वजह से इस साल तीन, चार व पांच कक्षा के छात्रों को बोर्ड के अंर्तगत नहीं लाया जाएगा।
बताया जा रहा है कि छोटी कक्षाओं के छात्रों का पढ़ाई में काफी स्तर गिरा है। ऐसे में शिक्षा विभाग का दावा है कि अभी इन कक्षाओ को बोर्ड का दर्जा देना सही नहीं है।
बता दें कि न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत सरकारी शिक्षा में गुणवत्ता लाने के मकसद से हिमाचल में तीसरी, चौथी व पांचवीं कक्षा की पढ़ाई बोर्ड की तरह करने का फैसला लिया गया था।
आदेश के बाद विभाग प्राइमरी की इन तीनों कक्षाओं की गुणवत्ता पर कार्य कर रहा था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रदेश सरकार ने प्राइमरी की इन तीनों कक्षाओं को एक विशेष अथॉरिटी के अंदर लाने का भी फैसला ले लिया था।
इसका नाम एप्रोप्रियेट अथॉरिटी रखा गया है। इस अथॉरिटी के अंदर स्कूलों के वरिष्ठ शिक्षकों को रखे जाने का प्लान था।
बताया जा रहा है कि 3, 4, 5 कक्षा के लिए बनाई जाने वाली इस कमेटी में मैरिट के आधार और शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों की सूची भी तैयार कर ली थी।
अब कोविड की वजह से प्रदेश में संक्रमितों के मामले काफी बढ़ रहे हैं। ऐसे में स्कूल-कालेजों में नियमित कक्षाएं कब से लगेंगी, इस पर स्थिति साफ नहीं हो पाई है।
ऐसे में शिक्षा विभाग ने फैसला लिया है कि वर्ष 2022 में अगर स्थिति ठीक हो जाती है और छात्रों की नियमित कक्षाएं लगती हैं, तो तीसरी, चौथी व पांचवीं को बोर्ड करने के फैसले को लागू कर दिया जाएगा।
उसके बाद शिक्षा विभाग चुनिंदा शिक्षाविदों को इस सूची में शामिल करेगा, ताकि वह इन तीनों कक्षाओं के छात्रों की पढ़ाई को लेकर प्लानिंग कर सके।
प्राइमरी के छात्रों को मिलेगा नाश्ता
नई शिक्षा नीति के तहत इसी साल से मॉर्निंग असेंबली में छात्रों को गर्म-गर्म नाश्ता या फिर जहां पर सुविधा नहीं होगी, वहां चने, गुढ़ या फिर सीजनली फ्रूट दिए जाने को लेकर प्लान तैयार हो गया है।
इसको लेकर समग्र शिक्षा विभाग ने सरकार को प्रोपोजल भी भेज दिया है।
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