उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों एवं संबद्ध महाविद्यालयों में
संचालित दो वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए कराई जाने वाले संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा 2021 पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
कोविड-19 की परिस्थितियों को देखते हुए इतनी बड़ी प्रवेश परीक्षा कराने पर सहमति नहीं बन पा रही है।
बीएड की लगभग 2.25 लाख सीटों पर प्रवेश के लिए करीब 5.50 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया हुआ है।
प्रवेश परीक्षा के आयोजन की जिम्मेदारी इस बार भी लखनऊ विश्वविद्यालय को ही दी गई है। लखनऊ विश्वविद्यालय यह प्रवेश परीक्षा आगामी जुलाई माह में कराने पर विचार कर रहा है।
हालांकि शासन की मंजूरी के बाद ही यह संभव हो पाएगा। ऐसे समय में जब सीबीएसई व यूपी बोर्ड अपनी 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षा निरस्त कर चुका है और राज्य विश्वविद्यालयों में केवल अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराने पर विचार चल रहा है, तब बीएड प्रवेश परीक्षा कराने की अनुमति मिलनी मुश्किल है।
विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष व अंतिम सेमेस्टर को छोड़कर अन्य कक्षाओं में बिना परीक्षा के ही प्रोन्नत करने का फैसला पहले ही लिया जा चुका है।
इस बीच उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन ने शासन से मांग की है कि इस वर्ष बीएड 2021 की प्रवेश परीक्षा न कराई जाए।
इसके स्थान पर एक अस्थाई आपातकालीन व्यवस्था के रूप में अभ्यर्थियों को उनकी स्नातक स्तर की विश्वविद्यालय परीक्षा एवं 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में प्राप्त अंकों से बनने वाली मेरिट के आधार पर प्रवेश दे दिया जाए।
एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने कहा कि जब अनेक परीक्षाओं को निरस्त कर वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है और कोरोना की तीसरी लहर आने की भी आशंका है, तब 5.5 लाख अभ्यर्थियों की प्रवेश परीक्षा कराना जोखिम भरा हो सकता है।
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