नई दिल्ली : अगर आपको बच्चों को पढ़ाने में रुचि है और डिग्री
कॉलेज या फिर भारत के किसी भी विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए सोच रहे हैं, तो आपको लिए बड़ी खबर है।
दरअसल मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश भर के विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की भर्ती के लिए पीएचडी और यूजीसी नेट दोनों को अनिवार्य कर दिया है।
आगामी सत्र 2021-22 से यह नियम लागू हो जाएगा। इससे पहले सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए यूजीसी नेट पास होना या फिर पीएचडी की डिग्री होना अनिवार्य थी। ऐसे में चयन प्रक्रिया में भी बदलाव आएगा।
2018 में ही बन गया था नियम:
असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने 2018 में ही इस नियम को बना दिया था। लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया था।
लेकिन इस वर्ष इसको लागू करने की तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं।
अब पीएचडी की डिग्री पूरी किए बिना किसी भी अभ्यर्थी को असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर नियुक्त नहीं किया जाएगा।
अभी तक था यह नियम:
अभी तक जो अभ्यर्थी पीएचडी कर लेता था, उसे नेट पास करना जरूरी नहीं था।
वहीं, जो अभ्यर्थी नेट पास कर लेते थे वे बिना पीएचडी के भी सहायक प्रोफेसर की बन जाते थे। लेकिन अब पीएचडी और यूजीसी नेट दोनों को अनिवार्य कर दिया गया है।
चयन प्रक्रिया में होगा यह बदलाव:
सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के दौरान नेट की परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को 5 से 10 अंकों का वेटेज दिया जाता था। जबकि पीएचडी अभ्यर्थियों को 30 अंकों का वेटेज दिया था।
ऐसे में नेट अभ्यर्थी मेरिट में पिछड़ जाते थे। इसी को देखते हुए पीएचडी और नेट दोनों को अनिवार्य कर दिया गया है।
ऐसे में माना जा रहा है कि अभ्यर्थियों वेटेज अब नहीं दिया जाएगा।
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