प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अहम फैसले में कहा है कि
अध्यापकों को एक से अधिक बार अंतर जनपदीय तबादले के लिए अर्जी देने का अधिकार है।
शासनादेश और एकल पीठ द्वारा अंतर जनपदीय तबादले के लिए केवल एक बार अर्जी देने का आदेश नियमावली के विपरीत है।
यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी तथा न्यायमूíत पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने अजय कुमार की विशेष अपील पर दिया है।
हालांकि, खंडपीठ ने कहा कि एक बार अंतर जनपदीय तबादला मंजूर होने के बाद दोबारा तबादले की अर्जी देने पर कोई रोक नहीं है, लेकिन अर्जी देने से तबादले का अधिकार नहीं मिल जाता।
यह सरकार के विवेक पर निर्भर है कि वह तबादला करे अथवा नहीं। अपील पर वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा और शिवेंदु ओझा ने बहस की।
उनका कहना था कि एकलपीठ ने अपने आदेश से याचिका में जो प्रार्थना नहीं थी, अपनी तरफ से अंतर जनपदीय तबादले के लिए दूसरी बार अर्जी देने पर रोक लगा दी, जबकि नियमावली में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
नियुक्ति से पांच साल तक तबादले पर रोक है। केवल महिला अध्यापिका को अपने पति अथवा सास ससुर के आवास के जिले में तबादला मांगने का नियम है।
इसमें भी कहीं पर अर्जी की संख्या का उल्लेख नहीं है। तबादला अनुरोध अथवा दूसरे अध्यापक की सहमति से किए जाने का नियम है। दूसरे जिले में तबादला लेने पर वरिष्ठता प्रभावित होती है।
, एकल पीठ के फैसले को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने बदला
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