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UP (बरेली) के इस सरकारी स्कूल में एडमिशन के लिए लगी लंबी लाइन, जानें क्या है इसमें खास

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के किसी स्कूल में प्रवेश के लिए अभिभावकों की लाइन लगती हो ऐसा नजारा कम ही दिखता है।


 लेकिन बरेली में कंपोजिट स्कूल जसोली में ऐसे दृश्य आम हो चुके हैं। निजी क्षेत्र के सहयोग के बाद स्कूल का जबरदस्त कायाकल्प हो चुका है। 

यही कारण है कि प्राइवेट स्कूलों से नाम कटवाकर अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला यहां करा रहे हैं। 

मारिया फ्रोजन समूह के चेयरमैन उद्यमी हाजी शकील कुरैशी ने  जसोली  स्कूल  के कायाकल्प की जिम्मेदारी उठाई थी। लगभग एक वर्ष पहले स्कूल की पुरानी इमारत को पूरी तरह से तोड़ दिया गया। 

अब नए सिरे से पूरा स्कूल बनकर लगभग तैयार हो चुका है। नई बिल्डिंग शहर के नामी स्कूलों को भी मात देती नजर आ रही है।

 स्कूल के सभी 16 कक्षों को स्मार्ट कक्षा के रूप में विकसित किया गया है। जल्द ही सभी कक्षों में एसी भी लग जायेगा। स्कूल में मार्डन टॉयलेट ब्लाक बन चुके हैं। 

कल्चरल रूम, कैंटीन, लैब, लाइब्रेरी आदि का भी निर्माण कराया गया है।  खूबसूरत हरे-भरे लॉन स्कूल की शोभा बढ़ा रहे हैं। पूरे स्कूल में टाइल्स भी लग चुके हैं। 

स्कूल में सितंबर तक काम पूरा हो जाएगा। इसके बाद स्कूल को आइएससो का प्रमाण पत्र भी दिलाया जाएगा। इस स्कूल को पूरे प्रदेश के सरकारी स्कूलों के सुधार के लिए मॉडल के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। 

अन्य जिलों में भी इस तरह के स्कूल विकसित करने की कोशिश की जाएगी। बरेली में भी ऐसे स्कूलों की संख्या बढ़ाने का प्रयास जारी है।

500 से 900 पहुंची छात्रों की संख्या

पिछले वर्ष तक स्कूल में लगभग 500 छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे थे। स्कूल की नई इमारत ने ऐसा आकर्षण पैदा किया कि लोग निजी स्कूलों से बच्चों का नाम कटवा कर जसोली में प्रवेश दिलवा रहे हैं।

 अभी तक 900 से ज्यादा प्रवेश हो चुके हैं। ज्यादा प्रवेश होने के कारण लग रहा है कि स्कूल का संचालन दो पालियों में करना पड़ सकता है।

प्राइवेट स्कूल से कटवा दिया नाम

निजी स्कूल से अपने बच्चे का नाम कटवाने के बाद प्रवेश के लिए पहुंची नीतू मिश्रा ने बताया कि जब सरकारी स्कूल में ही प्राइवेट स्कूल जैसी सुविधाएं बिना किसी फीस के मिलेंगी तो कोई प्राइवेट स्कूल में क्यों जाएगा। इसलिए हमने जसोली स्कूल में अपने बच्चे का प्रवेश करवाया है।

प्राइवेट स्कूल को भी दे दी मात

कर्मचारी नगर से प्रवेश के लिए पहुंची ममता गंगवार ने कहा कि जसोली स्कूल को देखकर लगता ही नहीं है कि यह कोई सरकारी स्कूल हो। 

निजी स्कूलों की तुलना में सरकारी स्कूलों के शिक्षक अधिक योग्य भी होते हैं। इस स्कूल को देखकर लगता है कि अब प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का कोई मतलब नहीं है।

कोरोना के वक्त भी रिकॉर्ड तोड़ प्रवेश

हेडमास्टर हरीश बाबू शर्मा ने बताया कि कोरोना के दौरान बच्चों को प्रवेश के लिए आने से मना किया जा रहा है। इसके बाद भी दिन भर अभिभावकों और बच्चों की लाइन लगी रहती है।

 लगभग 900 एडमिशन हो चुके हैं। आने वाले समय में यह स्कूल उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों के लिए मॉडल होगा।


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