बिहार के सरकारी स्कूलों की तर्ज पर अब निजी स्कूलों में भी
शिक्षक बनने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता होगी, क्योंकि टीईटी परीक्षा के अंकों के साथ साक्षात्कार की व्यवस्था लागू की जाएगी।
इसके माध्यम से ही निजी विद्यालय अपने यहां शिक्षकों का चयन कर पायेंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में केन्द्र सरकार ने यह प्रावधान किया है।बिहार में भी इसे लागू करने को लेकर संजीदगी दिखलाई पड़ रही है।
बिहार में नई शिक्षा नीति को जमीन पर उतारने की तैयारी पिछले ही महीने से तेज हुई है।
राज्यस्तर पर अपर मुख्य सचिव संजय कुमार की मौजूदगी में सम्पन्न हुई एक दिनी कार्यशाला में नई शिक्षा नीति का पाठ सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी और सभी क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशकों को पढ़ाया गया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए शिक्षा विभाग के निर्देश पर बीईपी ने एक रोडमैप (कुंजी) बनाया है। इस कुंजी में भी इसे प्रमुखता से अंकित किया गया है कि निजी स्कूल समेत सभी स्तरों के शिक्षकों के नियोजन के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) आवश्यक होगी।
विदित है कि आरटीई के तहत 2015 से ही राज्य के सरकारी स्कूलों में अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक है और उसके बाद टीईटी की उत्तीर्णता भी आवश्यक किया गया।
एनसीटीई के सख्त रवैये के बाद बिहार समेत देशभर में 1 अप्रैल 2019 से केवल प्रशिक्षितों को ही बतौर शिक्षक रखने का नियम सभी सरकारी और निजी स्कूलों में शामिल है।
अब टीईटी बाध्यकारी होने से अगली टीईटी में उत्तीर्ण शिक्षक अभ्यर्थियों के लिए निजी स्कूलों में भी अवसर खुल जायेंगे।
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