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बड़ा फैसला :- आकांक्षी जिलों के शिक्षकों के तबादले का रास्ता साफ, कोर्ट ने दिया यह आर्डर

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के अति पिछड़े (आकांक्षी) जिलों के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत अध्यापकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि इन जिलों में कार्यरत अध्यापकों को भी विशेष परिस्थितियों में अंतर्जनपदीय स्थानांतरण का अधिकार है। 


कोर्ट ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद में सहायक अध्यापक का पद जिलास्तरीय कैडर का पद है इसलिए सामान्यत दूसरे जिले में स्थानांतरण की मांग नहीं की जा सकती है। 

लेकिन विशेष परिस्थिति में खासतौर से मेडिकल इमरजेंसी के केस में बेसिक शिक्षा परिषद अध्यापक नियमावली 2008 के रूल 8(2)(डी ) के तहत अंतर्जनपदीय स्थानांतरण पर बेसिक शिक्षा बोर्ड या निदेशक बेसिक शिक्षा द्वारा विचार किया जा सकता है। 

कोर्ट के इस फैसले से आकांक्षी जिलों में कार्यरत अध्यापकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण का रास्ता साफ हो गया।

यह आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने मंजू पाल व दर्जनों अन्य अध्यापकों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई करते हुए दिया है। अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा का कहना था कि वर्ष 2019-20 के लिए स्थानांतरण नीति का शासनादेश 15 दिसंबर 2020 को जारी किया गया। इस शासनादेश में प्रावधान किया गया कि आकांक्षी जनपद (सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती, बहराइच, सोनभद्र, चंदौली, फतेहपुर, चित्रकूट व बलरामपुर) में कार्यरत अध्यापकों का अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नहीं किया जाएगा।

इस शासनादेश को दिव्या गोस्वामी केस में चुनौती दी गई थी। 3 दिसंबर 2020 को आए दिव्य गोस्वामी केस के फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में मिड टर्म में भी अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग की जा सकती है।

 दिव्या गोस्वामी केस के फैसले के बाद राज्य सरकार ने 15 दिसंबर 2020 को नया शासनादेश जारी किया और 17 दिसंबर 2020 को एक सर्कुलर भी जारी किया गया। सर्कुलर व शासनादेश में आकांक्षी जनपदों में कार्यरत अध्यापकों के स्थानांतरण के संबंध में कोई नियम तय नहीं किया गया है।

अधिवक्ता नवीन शर्मा का कहना था कि याची की नियुक्ति 2015 में आकांक्षी जनपद बहराइच में की गई। लेकिन उसका परिवार बरेली में रहता है। याची स्वयं कैंसर पीड़ित है और बरेली में उसका इलाज चल रहा है।

 उसने बरेली में अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की मांग की थी, जिसे इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि याची आकांक्षी जनपद में कार्यरत है इसलिए अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि दिव्या गोस्वामी केस के फैसले के बाद आए शासनादेश और सर्कुलर में आकांक्षी जिलों से अंतर्जनपदीय स्थानांतरण पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। वर्तमान में अंतर्जनपदीय स्थानांतरण पर रोक लगाने की कोई नीति प्रभावी नहीं है। 

ऐसे में याची की बहराइच से बरेली स्थानांतरण की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। कोर्ट ने कहा कि रूल 8(2)(डी) के तहत अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए एक जिले में कम से कम पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करना आवश्यक है।

 लेकिन विशेष परिस्थिति में अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के प्रार्थना पत्र पर बेसिक शिक्षा बोर्ड या निदेशक बेसिक शिक्षा उक्त अवधि से पहले भी विचार कर सकते हैं। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा बोर्ड को इस बात पर निर्णय लेने का निर्देश दिया कि याची की परिस्थिति विशेष परिस्थिति के अंतर्गत आती है या नहीं।


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