उत्तर प्रदेश के लाखों शिक्षामित्र काफी लंबे समय से सहायक अध्यापक के पदों पर नियुक्त करने की मांग कर रहे हैं इससे पहले सपा सरकार द्वारा यूपी के शिक्षामित्र का समायोजन सहायक अध्यापक के पद पर किया गया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस समायोजन को रद्द करते हुए उन्हें शिक्षामित्र के पद पर वापस कर दिया गया था।
लेकिन शिक्षामित्र से सहायक अध्यापक बनाए जाने को लेकर शिक्षामित्र फिर से हाई कोर्ट पहुंचे थे हाई कोर्ट द्वारा उनकी याचिका को रद्द कर दिया गया है कोर्ट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्र मामले में अंतिम निर्णय आ चुका है और केवल डीएम के एक नोटिस में सहायक शिक्षक के रूप में वर्णित करने मात्र से ही वह सहायक शिक्षक नहीं हो जाता हैl
इस मामले को लेकर न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की पीठ द्वारा याचिका पर सुनवाई की थी, शिक्षामित्र को सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त करने और 2015 से सहायक शिक्षक का वेतन देने की याचिका कोर्ट द्वारा निर्णय देते हुए खारिज की गई है।
शिक्षामित्र से सहायक शिक्षक बनाए जाने को लेकर शिक्षामित्र नारायण सिंह द्वारा याचिका दायर की गई थी जिसमें शिक्षामित्र को सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्त करके और सहायक अध्यापक का वेतन देने की मांग की गई थी याची का कहना था कि लोकसभा चुनाव के दौरान जिला चुनाव अधिकारी द्वारा चुनाव ड्यूटी का नोटिस जारी किया गया था जिसमें उसका विवरण सहायक अध्यापक दर्ज किया गया था साथ ही उन्हें पीठासीन अधिकारी भी बनाया गया था।
इसी को लेकर यह शिक्षामित्र हाई कोर्ट पहुंचे थे साथ ही इनका यह भी कहना था कि शिक्षामित्र को सहायक शिक्षक मानते हुए बर्ष 2015 से सहायक शिक्षक का वेतन देने का भी आग्रह किया था हाई कोर्ट द्वारा इस पूरी याचिका को खारिज कर दिया गया है।
5 सितंबर को शिक्षामित्र का धरना
समान कार्य समान वेतन की मांग करें शिक्षामित्र 5 सितंबर को लखनऊ में एकत्र होकर धरना देंगे साथ ही बेसिक विद्यालय में डिजिटल अटेंडेंस को लेकर शिक्षामित्र भी आंदोलन की राह पर हैं शिक्षामित्र समान कार्य समान वेतन के लिए एक बार फिर से लखनऊ में डेरा डालने का ऐलान कर रहे हैं 5 सितंबर से शिक्षामित्र अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे।
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