उत्तर प्रदेश में विद्यार्थियों के कंधे से किताबों का बोझ कम किया जाएगा
और स्कूली शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाया जाएगा।
यही नहीं दिव्यांग बच्चों को शिक्षा के साथ सुविधाएं भी दी जाएंगी। उच्च शिक्षा में संबद्धता की व्यवस्था को समाप्त कर महाविद्यालयों को स्वायत्त बनाने की तैयारी है।
उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में गठित टास्क फोर्स की हुई बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन को लेकर आए सुझावों पर मंथन किया गया।
विधानमंडल के समिति कक्ष में हुई इस बैठक में माध्यमिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने बताया कि पाठ्यक्रम के लिए गठित समूह ने पाठ्यक्रम के बोझ में कमी, विषय चयन के लिए सत्र 2021-22 में राजकीय वित्तपोषित विद्यालयों में भौतिक सुविधा, जनशक्ति तथा स्थानीय मांग के आधार पर स्कूल मैपिंग, प्रयोग आधारित अधिगम पर जोर, पाठ्यक्रम की प्लॉनिंग, भाषा की शिक्षा देने जैसे सुझाव दिए हैं।
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मूल्यांकन तथा परीक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए गठित वर्किंग ग्रुप ने परीक्षा प्रणाली का सरलीकरण, प्रश्न पत्रों के ब्लूप्रिंट और डिजाइन में परिवर्तन का सुझाव दिया है।
इसके अलावा सामाजिक व आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए विशेष प्रबंध करने, प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को विशेष तकनीकी सहयोग देने, शिक्षा में तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा देने और विद्यालय संकुल व्यवस्था एवं विद्यालयों के संबद्धीकरण के सुझाव आए।
उच्च शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव ने दिए ये सुझाव
उच्च शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका एस. गर्ग ने बताया कि कमेटी के सदस्यों ने यूजी एवं पीजी पाठयक्रम निर्धारण एवं प्रवेश प्रक्रिया, एकेडमिक क्रेडिट बैंक की स्थापना, कौशल विकास को उद्योगों से जोड़ने के सुझाव दिए हैं।
इसके अलावा संबद्धता की व्यवस्था खत्म करके महाविद्यालयों को स्वायत्तता देने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए समय सीमा के निर्धारण का सुझाव दिया है।
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