68500 सहायक अध्यापक भर्ती में शामिल अभ्यर्थी के
पुनर्मूल्यांकन में दो अंक काट लिए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मूल उत्तर पुस्तिका और मूल आंसर की तलब कर ली है।
अभ्यर्थी का कहना है कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने दो बार उसकी उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन किया और जिस प्रश्न का अंक उसे देना चाहिए था उसे देने के बजाए दो अंक कम कर दिए।
कोर्ट ने सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी को अभ्यर्थी के मूल दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया है।
ओबीसी अभ्यर्थी प्रियंका यादव की याचिका पर न्यायमूर्ति जेजे मुनीर सुनवाई कर रहे हैं।
याची के अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना था कि 13 अगस्त 2018 को सहायक अध्यापक परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया। याची को 66 अंक मिले थे।
जबकि कट ऑफ मेरिट 67 अंक थी। एक अंक से याची का चयन नहीं हो सका। उसने दो हजार रुपये का ड्राफ्ट जमाकर स्कैन कॉपी निकलवाई।
कॉपी देखने पर पता चला कि उसे प्रश्न संख्या 120 का अंक नहीं दिया गया है, जबकि उसने आंसर की के मुताबिक ही उत्तर दिया था। याची ने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया। पुनर्मूल्यांकन में उसके अंक 66 ही रहे।
इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। कोर्ट के आदेश पर याची की उत्तर पुस्तिका का एक बार फिर से पुनर्मूल्यांकन किया गया।
इस बार उसके अंक 66 से घटकर 64 हो गए। याची ने फिर से याचिका दाखिल की। उसका कहना था कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने तीन बार उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन किया तो उसके अंक तीसरी बार कम कैसे हुए।
जबकि प्रश्न संख्या 120 के अंक उसे नहीं दिए गए। इस पर कोर्ट ने मूल उत्तर पुस्तिका और मूल आंसर की अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है। मामले की सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।
No comments:
Post a Comment