यूपी के निकायों में बैकलॉक भर्ती यानी आरक्षित पदों पर भर्ती के
नाम पर खेल नहीं चल पाएगा। निकायों को यह बताना होगा कि उनके यहां आरक्षित वर्ग के कितने पद हैं। इनमें से कितने भरे और कितने खाली हैं। खाली होने के बारे में भी स्थिति साफ करनी होगी कि ऐसा क्यों हुआ।
स्थानीय निकाय निदेशालय से प्रदेश के सभी निकायों से इस संबंध में पूरी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है।
प्रदेश के निकायों में केंद्रीयत और अकेंद्रीयत सेवा के पद होते हैं। केंद्रीयत सेवा के पदों पर भर्तियां आयोग करता है, लेकिन अकेंद्रीयत सेवा के पदों पर स्थानीय स्तर पर भर्तियां होती हैं।
स्थानीय स्तर पर होने वाली भर्तियों में गड़बड़ी की शिकायतें मिलती रहती हैं। खासकर आरक्षित वर्ग के पदों को लेकर विवाद होता रहा है।
स्थानीय निकाय निदेशालय ने प्रदेश के सभी निकायों को इस संबंध में पत्र भेज कर आरक्षित पदों के बारे में पूरी जानकारी मांगी है।
इसमें पूछा गया है कि केंद्रीय सेवा और अकेंद्रीयत सेवा के समूह ‘क’,‘ख’, ‘ग’ व ‘घ’ के कुल कितने आरक्षित पद हैं। इनमें से कितने पद भरे हुए हैं और कितने पद खाली हैं।
इसके साथ ही यह पूछा गया है कि आरक्षित वर्ग के पदों पर पदोन्नति की क्या स्थिति है।
अगर पदोन्नतियां लटकी हुई हैं तो इसके पीछे क्या वजह है। स्थानीय निकाय निदेशालय भर्ती प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता चाहता है।
उसका मानना है कि खाली पदों को किसी कीमत पर मनमाने तरीके से न भरा जाए। इसीलिए ऐसे पदों के बारे में पूरी जानकारी एकत्र कराई जा रही है।
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